अब मोदी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह करेंगे अन्ना, कहा हमारा भरोसा तोड़ा

 

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे लोकपाल को लेकर एक बार फिर आंदोलन की तैयारी में हैं.  इस बार उनके निशाने पर केंद्र  की नरेंद्र मोदी सरकार है. अन्ना ने  मोदी सरकार पर लोकपाल क़ानून लागू नहीं करवा पाने का आरोप लगाया है. इसे लेकर उन्होंने लोगों का भरोसा तोड़ने का भी आरोप लगाया. फर्स्ट पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे लोकपाल के लिए मोदी सरकार के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में सत्याग्रह करेंगे. इससे पहले 2011 में वे मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन कर चुके हैं.

और क्या कहा अन्ना ने?

अन्ना ने कहा, "ये बात (सत्याग्रह) पिछले कुछ दिनों से मेरे दिमाग में है. मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सवाल पूछा कि आखिर क्यों उनकी सरकार लोकपाल की नियुक्ति को गंभीरता से नहीं ले रही है." अन्ना ने बताया कि रामलीला मैदान पर 2011 में उनके भूख हड़ताल से देशभर का ध्यान इस ओर गया. इसी के बाद हम संसद में लोकपाल बिल पास करवाने में कामयाब हुए. उन्होंने कहा, "जब मौजूदा सरकार लोकपाल नियुक्त करने में आनाकानी कर रही है तब उनके पास इसके सिवा (सत्याग्रह) कोई चारा नहीं है.

मोदी सरकार ने निराश किया

अन्ना ने कहा, "मोदी सरकार जब सत्ता में आई तो मुझे भरोसा था कि ये सरकार लोकपाल नियुक्त करेगी. लेकिन पिछले तीन सालों में यह अब तक नहीं किया गया. मुझे (पिछले तीन साल के दौरान) हर वक्त देशभर से भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें मिलती रही". उन्होंने कहा, "मैं पिछले तीन सालों से चुप था लेकिन मुझसे और लोगों से किया गया वादा पूरा नहीं किया गया." अन्ना ने बताया कि वे इसी साल जुलाई में आंदोलन शुरू करेंगे.

अन्ना ने कहां कही ये बातें

अन्ना ने ये बातें राजस्थान के अलवर में तरुण भारत संघ के एक तीन दिवसीय वर्कशॉप के उद्घाटन में फर्स्ट पोस्ट को दिए इंटरव्यू में कहा. वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ 1-3 अप्रैल के बीच आयोजित वर्कशॉप का उद्घाटन करने पहुंचे थे.

कौन हैं अन्ना हजारे

अन्ना हजारे सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले दिल्ली में बड़ा आंदोलन किया. उनके भूख हड़ताल और आंदोलन की वजह से तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ देशभर में लोगों का गुस्सा सडकों पर नजर आया था. बाद में केजरीवाल द्वारा राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद वे उनसे अलग हो गए और स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ देशभर में अपनी बात रखते रहे हैं.

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