खतरे में भारत की समुद्री सुरक्षा! चाहिए 24 लेकिन है सिर्फ 4 जंगी बेड़े

नई दिल्ली। भारत की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी एक गंभीर खामी सामने आई है। खबरों की मानें तो नेवी को पश्चिमी और पूर्वी तटों की हिफाजत के लिए एेसे २४ माइनस्वीपर्स की जरूरत है, जिनका इस्तेमाल दुश्मनों की बारूदी सुरंगों का पता लगाने और उनको खत्म करने में किया जाता है। लेकिन भारत के पास सिर्फ ४ पुराने माइनस्वीपर ही हैं। माइनस्वीपर खास किस्म के जंगी बेड़े होते हैं, जो बंदरगाहों और समुद्री रास्तों की हिफाजत के लिए बेहद अहम होते हैं। इस कमी का पता ऐसे समय पर चला है, जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन अपने न्यूक्लियर और पारंपरिक सबमरीन्स की तैनाती तेजी से बढ़ा रहा है। ये सबमरीन्स बेहद खामोशी से समुद्री बारूदी सुरंगें बिछाकर भारतीय बंदरगाहों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। 

ठंडे बस्ते में पड़े कई प्रॉजेक्ट्स

वर्तमान में नेवी के आधुनिकीकरण के लिए सबसे ज्यादा जरूरत पर्याप्त सबमरीन्स, कई भूमिका निभा सकने में सक्षम हेलिकॉप्टरों और माइनस्वीपर जंगी बेड़ों की है। नेवी करीब एक दशक से इनकी मांग करती आ रही है। वहीं, साउथ कोरिया की मदद से शिपयार्ड बनाने के प्रॉजेक्ट को भी अभी हरी झंडी नहीं मिली है। अगर १२ माइनस्वीपर्स को लेकर साउथ कोरिया के साथ करार को इस साल अमली जामा पहना दिया जाता है तो भी पहला जंगी बेड़ा २०२१ से पहले तैयार नहीं हो पाएगा। प्रॉजेक्ट की योजना के तहत, ९-९ महीने के अंतराल पर ११ अन्य माइनस्वीपर्स २०२६ तक सौंपे जा सकेंगे। 

देसी एयरक्राफ्ट विकसित करने में भी पीछे 

बीते हफ्ते ही चीन के पहले स्वदेश निर्मित एयरक्राफ्ट ने ८० मिनट अवधि की पहली उड़ान भरी थी। चीन ने इसे विकसित करने की योजना २००८ में बनाई थी। दुर्भाग्यवश, इससे आधी क्षमता वाले एयरक्राफ्ट बनाने को लेकर भारत की योजना २००७ से कागजों पर ही है। बता दें कि चीन का ष्ट९१९ एयरक्राफ्ट १५८-१६८ यात्रियों को लेकर उड़ान भर सकता है। वहीं, भारत के रीजनल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का डिजाइन ५०-९० यात्रियों को ढो सकने में ही सक्षम होगा। 

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