गंगा दशहरा को लेकर भ्रम, यह है सही तिथि और मुहूर्त

पं. राकेश झा

22 जून 2018 को देश के कई भागों में गंगा दशहरा मनाया गया और लोगों ने गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त करने लिए गंगा में डुबकी भी लगाई। दरअसल इस साल मलमास लगने के वजह से दुविधा की स्थिति उत्पन्न हुई है। शास्त्रों के अनुसार इस साल गंगा दशहरा 24 मई को थी। आपको बतादें कि, शास्त्रों के नियामानुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाए जाने का विधान है। इसका कारण यह है कि इस तिथि को देवी गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं।


शास्त्र कहता है कि, मलमास होने पर भी इस नियम में परिवर्तन नहीं होना चाहिए। ऋष्यऋंग ग्रंथ में लिखा है- ‘ज्येष्ठे मलमासे सति तत्रैव दशहरा कार्या न तु शुद्धे। दशहरासु नोत्कर्षः चतुर्ष्वपि युगादिषु’। अर्थात मलमास होने पर शुद्ध मास में इस दशहरा को मनाने का इंतजार नहीं करना चाहिए। दशहरा का कार्य यानी स्नान, दान, पूजन सभी मलमास के दौरान ही संपन्न कर लेना चाहिए।


ब्रह्मपुराण में बताया गया है कि गंगा दशहरा के दिन जितने अधिक शुभ योग बन रहे हों उसका फल उतना ही अधिक हो जाता है। इस तिथि को हरिद्वार, गढ़गंगा, प्रयाग सहित किसी भी गंगा तट पर स्नान दान उत्तम फलदायी माना गया।


जो लोग गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं वह घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलकर स्नान करलें तो गंगा स्नान का फल मिल जाता है। 22 जून को शुद्ध ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि होने की वजह से कुछ लोगों ने इसे भी गंगा दशहरा माना।


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