ग्रहों की चाल में हो रहा है बदलाव, जानें 13-14 अप्रैल कब होगा संक्रांति का पुण्यकाल

14 मार्च 2017 से खरमास का आरंभ हुआ था। जिसके चलते शादी, जनेऊ, मुण्डन, कर्ण छेदन, भूमि पूजन, गृह निर्माण आरंभ, गृह प्रवेश, व्यापार मुहूर्त, पूजन कार्य, मुंडन, नया कारोबार आरंभ आदि शुभ कामों पर विराम लग गया था। 12 अप्रैल बुधवार को वैशाख कृष्ण पक्ष प्रारंभ होगा। 13 अप्रैल गुरूवार को मध्यरात्रि 2 बजकर 5 मिनट पर सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा, सूर्य की मेष संक्रांति एवं वैशाख महीना प्रारंभ होगा। संक्रांति का पुण्यकाल अगले दिन यानि 14 अप्रैल प्रात: 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इस दिन संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत भी होगा, चंद्रमा रात्रि 9 बजकर 49 मिनट पर उदय होगा। इसके अतिरिक्त बाबा साहिब डाक्टर भीमराव अम्बेदकर जी की जयंती, गुडफ्राई-डे (ईसाई पर्व), मेला कालेश्वर महादेव (देहरा) का भी शुभ अवसर रहेगा। 13 अप्रैल को बहुत से स्थानों पर मेले लगेंगे जैसे वैशाखी (पंजाब) एवं जलियांवाला बाग स्मरण दिवस (अमृतसर, पंजाब), मेला विशु प्रारंभ (केरल पर्व), मेला रामधन दास (फाजिल्का), मेला रिवाल्सर (मंडी, हिमाचल)


शहनाइयों का मौसम यानि बैंड, बाजा, बारात के लिए अप्रैल में 6, मई व जून में 12-12, जुलाई में 3 तथा नवम्बर व दिसम्बर में 5-5 शुभ मुहूर्त हैं। कुछ इस प्रकार होंगे विवाह मुहूर्त

 

अप्रैल-18, 19, 20, 21, 28, 29


मई- 4, 6, 8, 9, 12, 16, 21, 22, 23,  26, 27, 31


जून- 2, 3, 5, 6, 7, 8, 18, 19, 20, 27, 28, 30


जुलाई-1, 2, 3


नवम्बर-23, 24, 28, 29, 30


दिसम्बर-1, 3, 4, 10, 11


4 जुलाई से 6 नवम्बर तक विवाह मुहूर्त नहीं
देवशयनी एकादशी एवं गुरु अस्त होने के कारण जुलाई से अक्तूबर तक 4 महीने शादियों पर ब्रेक रहेगा। पंचांग के अनुसार नई साल में 14 जनवरी तक तथा 14 मार्च से 14 अप्रैल तक मलमास में वैवाहिक कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे। इसके बाद जुलाई से 31 अक्तूबर तक देवशयन रहेगा। इसी दौरान 11 अक्तूबर से 6 नवम्बर तक गुरु अस्त रहेगा। ऐसे में 4 जुलाई से 6 नवम्बर तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे। 14 दिसम्बर 2017 से 14 जनवरी 2018 तक मलमास रहेगा।   


उतार-चढ़ाव बने रहेंगे
ग्रह फल के लिहाज से 2017 का साल उतार-चढ़ाव वाला रहेगा। रोहिणी निवास तट भाग पर रहने व समय निवास रजक घर चरितार्थ होने से भावों में विश्वास प्रतीक नहीं होगा और उतार-चढ़ाव बने रहेंगे। अतिवृष्टि व अनावृष्टि के योग भी हैं। 


नवीन नीतियों का सूत्रपात होगा
2017 का राजा मंगल का स्व राशि में रहना शुभ योग का परिचायक है। वहीं, मकर लग्न का स्वामी शनि का द्वादश भाव पर रहना शुभ नहीं है। ऐसे में देश को नायक को उनके साथियों से सुखद फल नहीं मिल पाएगा। आर्थिक मुद्राकोष व विनियोजक विकास के लिए नवीन नीतियों का सूत्रपात होगा।

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