चीन के ड्रीम प्रोजेक्ट सम्मेलन का हिस्सा नहीं बनेगा भारत !

बीजिंग। चीन द्वारा आगामी १४ और १५ मई को आयोजित होने वाले  'वन बेल्ट, वन रोड' (ह्रक्चह्रक्र) शिखर सम्मेलन  में भारत के शामिलहोने का फिलहाल कोई विचार नहीं  है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा है कि भारत का कोई डेलिगेशन इसमें भाग लेगा इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। गौरतलब है कि 'वन बेल्ट, वन रोड' चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके तहत चीन को यूरोप से जोड़ा जाना है। इसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर भी शामिल हैं, जिस पर भारत आपत्ति उठाता रहा है।

चीन ने इस साल मार्च में भारत को इस  शिखर सम्मेलन  के लिए निमंत्रण भेजा था।इस  शिखर सम्मेलन में कुल २९ देशों के राष्ट्राध्यक्ष और डेलिगेट शामिल होंगे। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने यहां तक कहा था कि भारत चाहे तो अपना रिप्रेजेंटेटिव भेज सकता है।ज्ज्वांग के मुताबिक इस  शिखर सम्मेलन  में शामिल होने वाले देशों के लिए साझा विकास की बात कही जा रही है। हम चाहते हैं कि भारत भी इसमें हिस्सा लेकर अहम रोल निभाए।ज्ज्वहीं, गोपाल बाग्ले ने कहा कि भारत 'वन बेल्ट, वन रोड' को समर्थन करता है, लेकिन हमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर से आपत्ति है। हमने इस बारे में साफ कहा है कि ये कॉरिडोर हमारी सीमाओं के अंदर से गुजरेगा, जो हमारी संप्रभुता का साफ उल्लघन है। यही नहीं इस प्रोजेक्ट के जरिए चाइना का पूरा एशिया और भारत के पड़ोसी देशों में प्रभुत्व बढ़ सकता है।

वांग ने कहा है कि च्च्४६ बिलियन डॉलर की लागत वाले सीपीईसी का भारत के राजनीतिक और कश्मीर सीमा विवाद से सीधे तौर कोई लेना-देना नहीं है। ये केवल इकोनॉमिक कोऑप्रेशन और डिवैलपमैंट के लिए है। गौरतलब है कि इस वक्त पीएम मोदी भी श्रीलंका दौरे पर हैं। वहीं, श्रीलंका ने कोलंबो में चीनी पनडुब्बी को खड़ा करने की इजाजत देने से इंकार कर दिया है। हालांकि ह्रक्चह्रक्र  शिखर सम्मेलन  से पहले चीन किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से बच रहा है। दरअसल चीन को डर है कि उलटी बयानबाजी से उसकी सबसे महत्वाकांक्षी ह्रक्चह्रक्र योजना खटास में पड़ सकती है।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से चीन के शिनझियांग को जोड़ने वाले कॉरिडोर की योजना है। यह कॉरिडोर ग्वादर से शुरू होकर काशगर तक जाएगा। अरबों डॉलर के इस प्रोजेक्ट के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान एंट्री गेट का काम करेगा। चीन इस क्षेत्र में औद्योगिक पार्क, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, रेलवे लाइन और सड़कें बना रहा है। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में काराकोरम हाईवे का विस्तार चीन के अशांत रहने वाले शिंजिआंग सूबे तक किया जाएगा। इससे घाटी तक चीन को मुक्त और ट्रेन से तेज रफ्तार पहुंच मिलेगी।

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