जब ठेके बंद तब ढाबों पर मिल रही शराब, महिलाओं ने कहा तोड़कर फेंक देंगे

त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की नई आबकारी नीति में पहाड़ों में शराब बेचने का समय कम कर दिया गया है. लेकिन इसकी वजह से शराब की कालाबाज़ारी शुरू हो गई है और महिलाओं को इसके ख़िलाफ़ आंदोलन करना पड़ रहा है.

मैदानी क्षेत्रों में जहां शराब की दुकानें सुबह दस बजे से रात दस बजे तक खुल सकती हैं वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में ये सिर्फ़ दोपहर 12 बजे से शाम आठ बजे तक ही खुल सकती हैं.

सरकार की मंशा थी कि पहाड़ी क्षेत्रों में शराब की दुकानें कम समय तक खुलने से शराब बिक्री का विरोध कर रही महिलाएं शायद थोड़ी शांत होंगी कि पूरी तरह बंद नहीं तो शराब बिकनी कम तो हुई.

लेकिन जैसी आशंका जताई गई थी शराब का समय कम करने से शराब की बिक्री कम नही हुई बल्कि शराब की कालाबाज़ारी शुरू हो गई.

टिहरी से उत्तरकाशी के बीच पड़ने वाले करीब आठ ढाबों में दोपहर 12 बजे से पहले और शाम को छह बजे के बाद शराब बेची जा रही है. ज़ाहिर है इसके लिए दाम अधिक लिए जाते हैं लेकिन शराबियों की ज़रूरत पूरी हो जाती है.

यह न सिर्फ़ शराब बेचने के समय को सीमित करने के विचार के ख़िलाफ़ है बल्कि महिलाओं के पूरे आंदोलन को भी बेकार साबित करना है.

सरकार तो शायद ही इस बारे में विचार करे लेकिन महिलाओं ने ऐलान कर दिया है कि अगर ढाबों में शराब की बिक्री जारी रही तो वह ढाबों को तोड़ देंगी.

दरअसल महिलाएं शराब की अवैध बिक्री की शिकायत प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कर चुकी हैं लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने अपने  तरीके से विरोध करने का फ़ैसला किया है.

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