नए साल में रेल सफर होगा महंगा, साल में दो बार बढ़ेगा यात्री किराया

अगले साल से रेल यात्रियों को ट्रेन में सफर करने के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। केंद्र सरकार रेल किराये को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) से लिंक करने पर विचार कर रहा है। ऐसा होने पर साल में रेल मंत्रालय कम से कम दो बार ट्रेन का किराया बढ़ा सकेगा। अग्रिम टिकट बुक कराने वाले यात्रियों को सफर के दौरान बढ़े हुए किराये को देना होगा। इसकी घोषणा फरवरी में पेश होने वाले आम बजट में हो सकती है।

रेल मंत्रलाय ने आर्थिक तंगी के चलते सितंबर माह में राजधानी-शताब्दी टे्रनों में फ्लेक्सी फेयर लागू किया था। इससे ट्रेन की सभी श्रेणियों का किराया अधिकतम 50 फीसदी तक बढ़ गया। एसी-2 का किराया हवाई किराये के बराबर पहुंचने के कारण रेल यात्रियों ने हवाई सफर की ओर रुख किया। जिससे एसी-2 में रेल यात्रियों के रिकार्ड 30 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि रेलवे अब फ्लेक्सी फेयर में कमी ला रही है।

लेकिन यात्री किराये मद में गत वर्ष 33,490.50 करोड़ नुकसान को देखते हुए रेल मंत्रालय किराया तय करने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक फार्मूले पर अमल करने की तैयारी कर रहा है। यह विचार दिसंबर माह में हुए रेल चिंतन शिविर में रेलवे केअफसरों ने दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शिविर में मौजूद थे। इस शिविर में कुल एक लाख 15 हजार विचार आए थे। इसमें 36 विचारों को चुना गया था। इसमें से एक सीपीआई था। मंत्रायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे साल में दो बार यात्री किराये (5 से 6 फीसदी) की समीक्षा कर सीपीआई के मुताबिक दरें बढ़ाएगी।

इससे राजनीतिक दल यात्री किराये को मुद़्दा नहीं बना सकेंगे। वहीं, रेलवे के यात्री मद में घाटा भी कम होगा। वर्तमान में रेलवे किराये में सब्सिडी के तहत 36 पैसा प्रति किलोमीटर वसूल रही है। यानी रेलवे को एक किलोमीटर प्रति यात्री से 64 पैसा नुकसान हो रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली पहले की कह चुके हैं कि सुविधाओं के एवज में यात्रियों को पैसा देना होगा। रेल मंत्रालय ने स्पेशल सेफ्टी फंड के तहत वित्त मंत्री से एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये की मांग की थी। लेकिन जेटली ने 30 फीसदी पैसा देने के लिए मंजूरी दी, शेष पैसा यात्री किराये बढ़ाकर जुटाने का सुझाव दिया है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार रेल किराये के साथ रेलवे के मालभाड़े को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत डब्ल्यूपीआाई के दर के मुताबिक मालभाड़े को बढ़ाया जाएगा। रेलवे के इस साल के तय लक्ष्य को हासिल करने में विफल साबित हो रही है। इससे रेलवे को अब तक 20 हजार करोड़ घाटा होने का अनुमान है।

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