बाबरी विध्वंस: आडवाणी, जोशी, उमा के खिलाफ आरोपों की बहाली पर फैसला आज

सुप्रीम कोर्ट बुधवार को 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित आठ वरिष्ठ भाजपा और विहिप नेताओं के खिलाफ सीबीआई की आपराधिक साजिश के आरोपों की बहाली की याचिका पर फैसला सुना सकता है.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और अन्य याचिकाकर्ताओं की वरिष्ठ भाजपा नेताओं व विश्व हिंदू परिषद नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोपों की बहाली की मांग वाली याचिका पर न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति रोहिटन फली नरीमन की पीठ ने छह अप्रैल को आदेश सुरक्षित रख लिया था.

इस पर न्यायमूर्ति नरीमन की ओर से फैसला सुनाए जाने की संभावना है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से मई 2010 में नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोपों को खारिज करने के बाद सीबीआई ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया.

आडवाणी और जोशी के साथ उमा भारती व विनय कटियार (भाजपा), साध्वी ऋतंभरा, आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया (विहिप) ने 6 दिसंबर, 1992 को मस्जिद गिराए जाने से पहले रामकथा कुंज के मंच से भाषण दिया था. यह स्थल विवादित मस्जिद से 200 मीटर की दूरी पर था. किशोर और सिंघल का निधन हो चुका है.

शीर्ष अदालत ने छह अप्रैल को आदेश सुरक्षित रखने से पहले संकेत दिया कि जहां तक साजिश के आरोपों का सवाल है तो संविधान के अनुच्छेद 142 से असाधारण शक्तियां लिया जा सकता है. इस मुकदमे को रायबरेली से लखनऊ स्थानांतरित किया जा सकता है, ताकि आडवाणी और जोशी सहित आठ नेताओं के साथ ही 13 अन्य लोगों पर साजिश के आरोपों में मुकदमा चलाया जा सके.

आडवाणी और जोशी ने शीर्ष अदालत के मुकदमा लखनऊ स्थानांतरित करने और अनुच्छेद 142 से साजिश के आरोपों की बहाली के लिए सहारा लेने का विरोध किया था.

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