बैल की मौत हुई तो 12 किमी. खींची बैलगाड़ी, बच्चे को गोद में लेकर पत्नी ने लगाया धक्का

ये तस्वीर अपने में कई रंग समेटे हुए हैं. गरीबी की वजह से एक शख्स की बेबसी, दुधमंहे बच्चे को गोद लिए बैलगाड़ी को धक्का लगाती मां और परिवार की भूखा मिटाने के लिए बैल की खुद जुतकर 12 किलोमीटर तक गाड़ी खींचकर ले जाता बेबस पिता.

बदलते भारत की सबसे 'मार्मिक' तस्वीरों में से एक यह तस्वीर मध्य प्रदेश के गुना जिले की है. चाक़ू-छुरियां बेचकर अपना व अपने परिवार का पेट पालने वाले एक शख्स मोहन को बैल की बेवक्त मौत की वजह से बैलगाड़ी के दूसरे छोर पर खुद जुतना पड़ा, ताकि उसका परिवार भूखा न रहे

मोहन ने बैलगाड़ी में जुतकर 12 किलोमीटर तक गाडी खींची. इस दौरान उसकी पत्नी राधोबाई ने उसका साये की तरह साथ निभाते हुए दुधमुंहे बच्चे को गोद में लटकाकर बैलगाड़ी को धक्का दिया.

दरअसल,राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में रहने वाला मोहन घरों में इस्तेमाल होने वाले सामान बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है, जिसके लिए बैलगाड़ी में सामान भरकर मोहन अक्सर अपने परिवार सहित दूर-दूर तक धंधे की तलाश में आता जाता रहता है.

एक बैल बीमार होने पर मोहन ने उसके इलाज में अपनी जमापूंजी लगा दी. इसके बाद भी उसकी हालत में सुधार नहीं आया. गुरुवार रात को जामनेर जाते वक्त एक बैल की मौत हो गई, जिसके बाद बेबस मोहन के पास कोई विकल्प नहीं बचा था.

रात काफी होने की वजह से मोहन को समझ में नहीं आ रहा था कि सड़क पर रात कैसे गुजारे. इसके बाद मोहन ने मरे बैल को छोड़कर दूसरी जगह खुद ही जुतने का फैसला लेते हुए जामनेर की तरफ कदम बढ़ा दिए.

खिलचीपुर से गुना जिले के जामनेर जाते वक्त बैलगाड़ी में जुते एक बैल की अचानक हुई मौत के बाद मोहन ने खुद ही बैलगाड़ी को खींचा. अपने मरे हुए बैल को रास्ते में छोड़कर मोहन खुद ही बैलगाड़ी में जुत गया और लगभग 12 किलोमीटर तक बैलगाड़ी को खींचते हुए जामनेर पहुंचा.

पसीने में तर-बतर मोहन जब जामनेर पहुंचा तो कस्बे में सभी हैरान रह गए. गरीब परिवार का यह हाल देखकर लोगों का दिल पसीज गया. इस दौरान कुछ लोगों ने आगे आकर मोहन और उसके परिवार के खाने पीने की व्यवस्था की.

मामला संज्ञान में आने पर जिला प्रशासन की तरफ से जामनेर मंडी पहुंचकर नायब तहसीलदार अशोक प्रधान ने मोहन को दूसरा बैल भी खरीदकर दिया.

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