भविष्यवाणीः इस साल कब कहां कितनी होगी वर्षा

सचिन मल्होत्रा, ज्योतिषशास्त्री

हिन्दू ज्योतिष में वर्षा विज्ञान का सदियों से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आज से लगभग 1500 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक आचार्य वराहमिहिर ने अपने ग्रन्थ बृहत्संहिता में वर्षा की भविष्यवाणी करने से सम्बंधित ज्योतिष के अनेक सूत्र दिए थे। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और आकाश लक्षणों के आधार पर वर्षा का पूर्वानुमान लगाने के आचार्य वराहमिहिर द्वारा कहे गए ज्योतिषीय नियम आज भी प्रासंगिक हैं।

वर्तमान स्थिति में बात करें तो भारत के आधुनिक मौसम वैज्ञानिकों ने देश को मौसम के परिप्रेक्ष्य में 36 संभागों में बांटा है। भारतीय मौसम विभाग देश के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक उपकरणों के माध्यम से तथा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित उपग्रहों से जुटाई जाने वाली जानकारी के आधार पर तापमान, हवा, आर्द्रता और वर्षा सम्बन्धी भविष्यवाणियां करता है। तो वहीं दूसरी ओर ज्योतिषशास्त्र में मात्र एक पंचांग की सहायता से और समय-समय पर आकाश-लक्षणों के अवलोकन के आधार पर मौसम सम्बन्धी पूर्वानुमान कहे जाते हैं।

यहां हम भी ज्योतिषीय दृष्टिकोण से वर्तमान में गोचर में सूर्य से आगे चल रहे मंगल और वक्री गति से चल रहे शनि को देखते हुए यह अनुमान लगा रहे हैं कि इस साल मानसून काफी असामान्य रहेगा। जून के महीने में विशेषकर मानसून की वर्षा में कमी रहेगी। केरल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल में मानसून देर से पहुंचेगा l

सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश के समय की कुंडली को देखें तो मानसून के सामान्य से कम रहने के ज्योतिषीय संकेत मिल रहे हैं, जो भारतीय मौसम विभाग के सामान्य मानसून पूर्वानुमान के विपरीत है। सूर्य वर्षा के नक्षत्र आर्द्रा में 22 जून 2017 को सुबह 5 बजकर 9 मिनट पर मिथुन लग्न में प्रवेश करेंगे l आर्द्रा प्रवेश की कुंडली में लग्न में विराजमान मंगल, सूर्य और बुध वर्षा में कमी और तेज गर्मी पड़ने का योग बना रहे हैं।

उत्तर भारत में इस वर्ष जून में मौसम बेहद गर्म और शुष्क रहेगा। आर्द्रा प्रवेश कुंडली में चन्द्रमा वक्री शनि से दृष्ट होकर वर्षा के आसामान्य रहने के संकेत दे रहे हैं। जुलाई महीने के पहले पखवाड़े में वर्षा में कमी रहेगी जिससे फसल की बुवाई पर असर पड़ेगा। किन्तु बाद में मंगल के कर्क राशि में प्रवेश के साथ ही जुलाई के दूसरे पखवाड़े में अच्छी वर्षा होगीl

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 16 जुलाई को सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश के बाद भारी वर्षा से कुछ स्थानों पर बाढ़ जैसे हालत पैदा होंगे। 16 जुलाई से 16 अगस्त के बीच जलीय राशियों कर्क और वृश्चिक में ग्रहों के प्रभाव से अच्छी वर्षा होगीl इस समय-अवधि में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा और पश्चिम-बंगाल में कई स्थानों पर बाढ़ के हालात पैदा होंगे। बाद में मंगल के 27 अगस्त को अग्नि तत्व राशि सिंह में प्रवेश के साथ ही वर्षा में फिर से कमी आएगी। ग्रहों की स्थिति के अनुसार इस वर्ष जून और सितम्बर में वर्षा सामान्य से कम रहेगी तथा जुलाई और अगस्त में वर्षा सामान्य होगी। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के जून से सितम्बर की समय-अवधि में केवल 90 % वर्षा होगी।

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