भारत-अफगानिस्तान हवाई गलियारा शुरू

अफगानिस्तान और भारत के बीच पहला हवाई गलियारा (एयर कॉरिडोर)सोमवार को परिचालन में आ गया। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कार्गो विमान को दिल्ली के लिए रवाना कर इस गलियारे का उद्घाटन किया। यह रूट पाकिस्तान को बाईपास करता है। दिल्ली हवाई अड्डे पर स्वयं विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने अफगानिस्तान के विमान का स्वागत किया।  

राष्ट्रपति घनी ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, इस रूट से अफगानी निर्यात के लिए और मौके बढ़ेंगे, क्योंकि अफगानिस्तान के उत्पादों के लिए भारत बड़ा बाजार है। राष्ट्रपति घनी के सलाहकार सदीकुल्लाह मुजाहिद ने कहा, पहली बार अफगानी कृषि उत्पाद हवाई कार्गो के जरिये भारत पहुंचेंगे। उन्होंने कहा, सोमवार को भारत रवाना हुए विमान से 60 टन औषधीय पौधे भेजे गए। दूसरे विमान में कंधार प्रांत से 40 टन सूखे मेवे की आपूर्ति की जाएगी। 

पाकिस्तानी अड़ंगे से निजात  
अफगानिस्तान चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। इसलिए उसे अपने आयात और निर्यात के लिए पड़ोसी देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। चूंकि उसके संबंध पाकिस्तान के साथ ठीक नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान अफगानिस्तान के भारत के साथ कारोबार में बाधा खड़ी करता है। 2010 को पाकिस्तान ने अपनी सीमा से होकर अफगानिस्तानी उत्पाद को भारतीय सीमा तक ले जाने की इजाजत इस शर्त पर दी कि वे वापसी में भारतीय उत्पाद लेकर नहीं आएंगे। ऐसे में इस हवाई गलियारे से पाकिस्तान की इस मनमानी पर रोक लगेगी और दोनों देशों के कारोबार में बढ़ोतरी होगी। 

इस्लामाबाद पड़ा नरम 
सीमा पर तनाव और छोटी-छोटी बातों पर अफगान उत्पादों का रास्ता बंद करने वाला पाकिस्तान भी इस रूट से सहमा हुआ है। उसने सोमवार को सफाई देते हुए कहा, अफगान उत्पादों के निर्यात के लिए उसकी सीमा खुली हुई है। 

करोड़ों का कारोबार 
अफगान चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एसीसीआई) ने बताया कि पहले विमान से 1.1 करोड़ डॉलर (करीब 66 करोड़ रुपये) मूल्य के उत्पाद का निर्यात किया गया। एयर कार्गो से निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। एसीसीआई के वित्तीय उपप्रमुख तवाफिक दवारी ने कहा, हर सप्ताह पांच विमान काबुल और कंधार से भारत के लिए उड़ान भरेंगे। 

किफायती व्यापार
दवारी ने कहा, काबुल या कंधार से दिल्ली या अमृतसर हवाई जहाज के जरिये माल पहुंचाना आर्थिक रूप से भी किफायती है। साथ ही यहां से अफगानी माल को दुनिया के किसी भी कोने में पहुंचाया जा सकता है। अफगानिस्तान फल संघ के अध्यक्ष नेजाबत हैदरी ने कहा, हमनें जरूरी तैयारियां कर ली हैं। फलों को सुरक्षित रखने के लिए शीतघर बनाए गए हैं।

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