भारत को होगा बड़ा फायदा, अमेरिका ने अपने कानून में ‌क‌िया बदलाव

अमेरिका ने भारत को अपना ‘अहम रक्षा भागीदार’मानते हुए अपने निर्यात नियंत्रण कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों से भारत के रक्षा उपक्रमों को फायदा मिलेगा। प्रौद्योगिकी व हथियारों का आसानी से होने वाला हस्तांतरण भारत के हित में होगा।
 
इसके साथ ही अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय के नियंत्रण वाले सैन्य सामानों की आयातक कंपनियों को भी एक तरह से मंजूरी मिल गई है, जिसमें बड़े हथियार शामिल हैं। माना जा रहा है कि अब इस बात की संभावना बहुत कम रह गई है कि भारत को किसी सैन्य उत्पाद की आयात के लिए लाइसेंस से इंकार किया जाए।

नया नियम एक प्रकार से भारतीय कंपनियों को ऐसे आयातों की पूर्व स्वीकृति देता है। भारत अमेरिका बिजनस काउंसिल (एसआईबीसी) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि – ‘मैं अमेरिका द्वारा भारत को मुख्य रक्षा सहयोगी का दर्जा दिए जाने पर बहुत प्रसन्न हूं। भारत को यह हैसियत मिलने का हम लंबे समय से समर्थन कर रहे थे। अब भारत की इस पहचान पर अमेरिकी कानून की मुहर भी लग गई है।’

भारत के लिए इसलिए है बेहतर कदम

नियमों में किए गए बदलाव के कारण अब जिन कंपनियों को ‘वैलिडेटेड एंड यूजर’ (वीई) का दर्जा मिल जाएगा, उन्हें हथियारों के आयात के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। एसआईबीसी के रक्षा निदेशक बेंजामिन एस ने कहा कि – ‘भारत में काम कर रहीं भारतीय व अमेरिकी कंपनियां नागरिक व सैन्य निर्माण के लिए वीई दर्जा आवंटित करने का आवेदन कर सकती हैं।

यानी अब उन्हें अलग से लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैश्विक आपूर्ति श्रंखला बनाने और बाजार की बदलती चुनौतियों पर तत्काल ध्यान देने के लिहाज से भी यह बेहतर कदम साबित होगा।’पिछले 5 वर्षों में भारत-अमेरिका में 3 खरब रु. से अधिक की सैन्य तकनीक, हथियार व उपकरणों के सौदे हो चुके हैं।

इसके लिए 810 लाइसेंस जारी किए गए। ऐसे में नई व्यवस्था से जुड़े भारतीय हितों पर बेंजामिन ने कहा कि – ‘भारतीय कंपनियों के लिए यह बेहद सकारात्मक फैसला है। रक्षा क्षेत्र से जुड़ी भारतीय कंपनियों के लिए कारोबार ज्यादा आसान हो जाएगा। ऐसी भारतीय कंपनियां जो कि अमेरिकन कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं, उन्हें और भी ज्यादा फायदा होगा।’

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