वसंत पंचमी आज: ऐसे करें देवी सरस्वती की आराधना

आज देशभर में वसंत पंचमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहते हैं। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती को विद्या, ज्ञान, वाणी, संगीत व बुद्धि की देवी माना जाता है और इस दिन देशभर में मां सरस्वती की वंदना की जाती है।

बन रहा तिहरा योग
लखनऊ के केशवनगर श्रीहरिकेश महादेव मंदिर के पंडित सियाराम तिवारी ने बताया कि वसंत पंचमी 31 जनवरी को रात 3 बजकर 26 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 1 फरवरी यानी आज रात 1 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। इसलिए 1 फरवरी को केवल 12 बजे से लेकर 1 बजकर 30 मिनट तक का समय जो राहुकाल है, उस समय को छोड़कर पूरा दिन शुभ कार्यों के लिए विशेष लाभकारी रहेगा। आज ही के दिन उत्तरा भाद्र नक्षत्र भी है। सुबह 7:51 तक शिव योग और उसके बाद सिद्ध योग मिलेगा। यह विशेष योग, साधना और श्रेष्ठ कार्य के लिए शुभ रहेंगे।

कामदेव की भी पूजा
वसंत पंचमी के दिन सिर्फ सरस्वती पूजन ही नहीं होता बल्कि इस दिन पितृ तर्पण भी किया जाता है और कामदेव की पूजा भी होती है। इस दिन पहनावा भी परंपरागत होता है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने पर अधिक जोर दिया जाता है। वसंत पंचमी के दिन गायन-वादन के साथ अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। माता सरस्वती को समस्त ज्ञान, साहित्य, संगीत और कला की देवी माना जाता है। शिक्षण संस्थाओं में वसंत पंचमी बड़े की धूमधाम से मनाई जाती है।

 

पूजन विधि
प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें। पूजा से पूर्व मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें। इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं। सरस्वती माता को सिंदूर और अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करें। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है। देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा पीली बूंदी अर्पित करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है। विधिवत पूजा करने के बाद अगरबत्ती, धूप व दीपक जलाएं और 108 बार सरस्वती मंत्र 'ऊं ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः' का जाप करें।

पिहोवा का ऐतिहासिक मंदिर
वसंत पंचमी पर श्रद्धालु जहां देशभर में श्रद्धा तथा उमंग से इस पर्व को मनाते हैं वहीं पौराणिक नगर पिहोवा, कुरुक्षेत्र में सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना होती है। पिहोवा को सरस्वती का नगर भी कहा जाता है क्योंकि यहां प्राचीन समय से ही सरस्वती सरिता प्रवाहित होती रही है। पिहोवा का सबसे मुख्य तीर्थ सरस्वती घाट है जहां सरस्वती सरिता बहती है। वहां मां सरस्वती का अति प्राचीन मंदिर है। इन प्राचीन मंदिरों में देशभर के श्रद्धालु आकर पूजा-अर्चना करते हैं तथा सरस्वती घाट पर स्नान करते हैं। भव्य शोभा यात्रा भी निकलती है।

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