विरोध प्रदर्शन के बीच मदुरै में जल्लीकट्टू रद्द, प्रदर्शनकारियों ने मांगे स्थायी हल : अहम बातें

चेन्नई: तमिलनाडु मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम मदुरै के पास अलंगनल्लूर में हो रहे जल्लीकट्टू कार्यक्रम के उद्घाटन में नहीं जा रहे हैं क्योंकि वहां प्रदर्शनकारियों ने मामले के स्थाई हल को लेकर मांग तेज़ कर दी है. बता दें कि पन्नीरसेल्वम मदुरै पहुंच गए थे लेकिन अब उन्हें चेन्नई लौटना पड़ा. तमिलनाडु सरकार ने जल्लीकट्टू के राज्य में आयोजन को लेकर अध्यादेश जारी कर दिया था.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
  1. अलंगनल्लूर के निवासियों ने जल्लीकट्टू मामले के स्थायी समाधान की मांग करते हुए तैयारियों में व्यवधान डाला और उन सड़कों को ब्लॉक कर दिया जहां से सांड बाहर निकलते हैं. इस वजह से सभी गाड़ियां और एंबुलेंस फंसे हुए हैं.
  2. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें लगता है कि यह अध्यादेश "तत्कालीन राहत" है और सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द कर सकता है.
  3. उधर तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विरोध पत्र भी दायर कर दिया है यानि अगर जल्लीकट्टू के अध्यादेश को किसी ने अदालत में चुनौती दी तो सुप्रीम कोर्ट को आदेश सुनाने से पहले राज्य सरकार का पक्ष भी सुनना होगा. राज्य सरकार को शक है कि पशु अधिकार कार्यकर्ता इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं इसलिए यह विरोध पत्र दर्ज करवाया गया है.
  4. उल्‍लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा जल्लीकट्टू के आयोजन को लेकर तमिलनाडु सरकार के अध्यादेश को मंजूरी देने के एक दिन बाद प्रदेश सरकार ने भी शनिवार को अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी.
  5. मदुरै के कलेक्टर वीरा राघव राव ने कहा है कि 'हम इस आयोजन के दौरान जानवरों, प्रतिभागियों और दर्शकों की सुरक्षा का खास ख्याल रखा जाएगा. हम डबल बैरिकड का प्रबंध कर रहे हैं. जनता के लिए 20 मेडिकल टीम और जानवरों के लिए 17 टीमों का प्रबंधन किया गया है.'
  6. प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को ट्वीट में लिखा है कि 'हमें तमिलनाडु की संस्कृति पर गर्व है और केंद्र सरकार, तमिनलाडु के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और हम यह हमेशा सुनिश्चित करेंगे कि यह राज्य प्रगति के नए आयाम छूए.'
  7. जल्लीकट्टू के पक्ष में तमिल जगत के कई बड़े कलाकारों ने भी समर्थन दिखाया है. संगीतकार ए आर रहमान ने शुक्रवार को उपवास रखा. रजनीकांत और कमल हासन पहले ही इस प्रतिबंध पर विरोध जता चुके हैं. आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और सद्गुरू जैसे नाम भी इस आंदोलन में आगे आए.
  8. उधर राज्य सरकार, पशु अधिकारों से जुड़ी संस्था पेटा (People for the Ethical Treatment of Animals) पर भी प्रतिबंध लगाने को लेकर कानूनी रास्ते तलाश रही है. गौरतलब है कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने में पेटा का अहम रोल देखा जा रहा है. इस संस्था का आरोप है कि इस खेल के लिए सांडों को नशीले पदार्थ दिए जाते हैं और कभी कभी उनके चेहरे पर मिर्च भी डाली जाती है ताकि वह मैदान पर आक्रमक हो सकें.
  9. पेटा ने साफ किया है कि जल्लीकट्टू पर आने वाले अध्यादेश को वह कानूनी चुनौती देंगे. पोंगल के वक्त खेले जाने वाले इस खेल को पशु अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में बैन लगा दिया था. बाद में तमिलनाडु सरकार ने याचिका दायर की थी जिसमें फैसले की समीक्षा की बात कही गई थी लेकिन कोर्ट ने उसे भी अस्वीकार कर दिया था.
  10. यही नहीं पिछले साल केंद्र सरकार ने इस बाबत एक अधिसूचना जारी की थी जिस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था. सुप्रीम कोर्ट में जल्लीकट्टू मामले पर सुनवाई पूरी हो चकी है और केंद्र के कहने पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला एक हफ्ते के लिए टाल दिया था.

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