शनि की टेढ़ी नजर से हो सकता है कर्नाटक के चुनाव में भारी उलट-फेर

साल 2018 में शनिदेव गुरू की राशि धनु में भ्रमणशील हैं। साल 2017 में शनि गुरूवार दिनांक 26 अक्टूर 2017 को शाम 6 बजकर 11 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश कर गए थे। 2018 में पूरे साल भर यह इसी राशि में गोचर करेंगे। वर्तमान में शनि केेतू के नक्षत्र मूल में भ्रमणशील हैं। 4 दिसंबर 2017 को सोमवार सुबह 8.32 मिनट पर शनि अस्त हो गए थे तथा सोमवार दिनांक 8 जनवरी 2018 को शाम 7 बजकर 50 मिनट पर शनि उदय होंगे। शनि का अस्तकाल सही मायनों में देश, समाज और राजनीति के लिए बड़ी भारी समस्याओं का संदेश दे रहा है। 



2018 में शनि देव अपनी वक्र अवस्था में भी आएंगे। भारतीय पंचांग के अनुसार शनिदेव बुधवार 18 अप्रैल 2018 को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर वक्र अवस्था में चले जाएंगे। उस समय शनि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के पहले चरण से वक्र होकर गुरूवार दिनांक 6 सितंबर 2018 को शाम 5 बजकर 2 मिनट पर वक्र अवस्था में रहेंगे। इस अवस्था में शनि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र से पुन: मूल नक्षत्र में भ्रमण करेंगे। शनि का ये वक्र भ्रमण भारतीय राजनीति के लिए विस्मयकारी सिद्ध हो सकता है। ऐसी स्थिती में राजनितिक चुनावों के दरमियान सत्ता रूढ़ दलों को भारी हानि उठानी पड़ सकती है।



इस बीच पड़ने वाले कर्नाटक के चुनाव में भारी उलट-फेर होने की संभावना है। ऐसी अवस्था में सत्ता रूढ़ दलों को हार का सामना करना पड़ सकता है। शनि और राहु चतुर वर्ग समुदाय में दलितों का प्रतिनिध्त्व करते हैं। शनि के वक्र काल में दलितों द्वारा सत्ता पक्ष के विरूद्ध बहुत बड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है। शनि के वक्र और अस्त काल में कच्चे तेल में भारी उछाल होने की संभावना है। जिससे महंगाई अत्यधिक बढ़ सकती है तथा जिसका पूरा भार जनता पर पड़ेगा। मंहगाई बढ़ने से जनता के क्रोध का प्रभाव सत्ता रूढ़ दलों पर पड़ेगा। 


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