शिवरात्रि पर न करें ये पाप, वर्ना जिदंगी भर रहना पड़ेगा शिव की कृपा से वंचित

हिंदू देवी-देवताओं में भगवान शिव शंकर सबसे लोकप्रिय देवता हैं, वे देवों के देव महादेव हैं तो असुरों के भी ईष्ट हैं। दुनिया भर में हिंदू धर्म के अनुयायी भगवान शिव को पूज्य मानते हैं। इनकी पूजा आराधना की विधि बहुत सरल है। शास्त्रों के अनुसार भोलनाथ को यदि सच्चे मन से याद कर लिया जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। 



हर महीने में मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन साल में शिवरात्रि का मुख्य पर्व जिसे व्यापक रुप से देश भर में मनाया जाता है एक ही बार फाल्गुन के महीने में आता है। फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इसे फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन एकाग्रचित्त और पवित्र विचारों के साथ महादेव की पूजा करने से इंसान को समस्त परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। 


हालांकि शिवजी के भक्तों के लिए शास्त्रों में कुछ एेसे पापों का वर्णन किया गया है, जिनसे करने से उन्हें बचना चाहिए, वर्ना लाख पूजा-पाठ करने से बाद भी शिव जी

क्षमा नहीं करते। तो आईए आपको बताएं उन महापापों के बारे में जिसे करने से उस व्यक्ति को किसी भी देवी-देवता की कृपा नहीं मिल पाती है और आजीवन उसे दुखी रहना पड़ता है।



ये हैं वे महापाप जिनका वर्णन महाभारत, शिवपुराण और गरुड़ पुराण में भी किया गया है-


किसी भी स्त्री का अपमान करना पाप है लेकिन किसी गर्भवती या मासिक धर्म से पीडि़त महिला को बुरा बोलना या फिर उनका अपमान करना महापाप है। ऐसा करने वालों को शिवजी या कोई भी देवी-देवता कभी क्षमा नहीं करते। 



दूसरों के धन के ऊपर लोभ दृष्टि देना या फिर उसे पाने की इच्छा मन में दबाएं रखना महापाप है। 



किसी भी निष्पाप इंसान या फिर किसी भी जीव को बेवजह कष्ट पहुचांना या फिर उसके किसी कार्य में बाधा उत्पन्न करना भी महापाप की श्रेणी में आता है। 


किसी चीज के बारे में सही-गलत का ज्ञान होने के बावजूद भी उस कार्य को करने से उसकी क्षमा  भगवान की आराधना करने पर भी नहीं मिलेती।


पराई स्त्री या पुरूष पर बुरी नजर डालना या फिर उनके बारे में गलत सोचना या फिर उन्हें पाने की कोशिश करना भी महापाप कहलाता है। 



दूसरों के मान-सम्मान को नुकसान पहुंचने की नीयत से झूठ बोलना या छल-कपट करना, षडयंत्र रचना महापाप है। 



बच्चों, महिलाओं या अपने से कमजोर व्यक्ति या जीव के खिलाफ हिंसा महापाप है। 


मंदिरों के सामानों की चोरी भी महापाप कहलाती है। 


गुरूजनों या पूर्वजों का अपमान करने वालों को भी ईश्वर की क्षमा प्राप्ति नहीं हो पाती है।


दान दी हुई किसी चीज़ को वापस मांगना भी महापाप के अन्र्तगत आता है।


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