श्रीलंका के इंकार के बाद, कराची की ओर बढ़ रही है चीनी पनडुब्‍बी

नई दिल्‍ली। भारत हिंद महासागर क्षेत्र (IOR)में घूम रहे चीनी पनडुब्‍बी की गतिविधि पर पैनी निगाह बनाए हुए है। मीडिया रिपोर्ट मुताबिक,श्रीलंका की ओर से अनुमति न दिए जाने के बाद अब यह कराची की ओर बढ़ रही है।

बता दें कि श्रीलंका ने इस महीने चीन की ओर से कोलंबो में पनडुब्‍बी खड़ी करने के अनुरोध को खारिज कर दिया था। इससे पहले भी श्रीलंका ने चीन की एक पनडुब्बी को कोलंबो के बंदरगाह में इस महीने रखने को लेकर की गई अपील को खारिज कर दिया था।

बता दें कि श्रीलंका ने पिछले वर्ष अक्‍टूबर 2014 में एक चीनी पनडुब्‍बी को कोलंबो में खड़ा करने की इजाजत दी थी, जिसपर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। हाल के वर्षों में चीन ने श्रीलंका में भारी निवेश किया है, जिससे हवाई अड्डों, सड़कों, रेलवे और बंदरगाहों को वित्त पोषण मिला है। कोलंबो बंदरगाह में ट्रांस-शिपमेंट का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा भारत से आता है। भारत अपने इस पड़ोसी देश में बढ़ते चीनी प्रभाव को लेकर श्रीलंका को अपनी चिंताओं से अवगत कराता रहा है।

युआन वर्ग के पारंपरिक पनडुब्‍बी को भारतीय नेवी के लंबी दूरी वाले मैरिटाइम गश्ती विमान पी-81 ने उस वक्त देखा जब यह पीपल्स लिबरेशन आर्मी-नेवी (PLAN) के 26वें एंटी पायरेसी टास्कफोर्स का हिस्सा के तौर पर 19-20 अप्रैल को मलाका स्ट्रेट से गुजर रहा था। दिसंबर 2013 से नियमित रूप से PLAN की ओर से आईओआर में परमाणु क्षमता संपन्न और डीजल-इलेक्ट्रिक से चलने वाली पनडुब्बी को भेजा जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि एडेन की खाड़ी में इसका मकसद क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पहुंच को बढ़ाना है।

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