सरदार के साये में खड़े होकर बोले PM मोदी- ये मूर्ति न्यू इंडिया की अभिव्यक्ति

नर्मदा, गुजरात., देश को एक सूत्र में बांधने वाले आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 143वीं जयंती है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को देश को समर्पित किया. सरदार पटेल की इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर है, जो दुनिया में सबसे ऊंची है.

सरदार पटेल की इस मूर्ति के अलावा आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वैली ऑफ फ्लोवर्स', टेंट सिटी का भी उद्घाटन किया. इस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई बड़े नेता भी मौजूद.

मूर्ति का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है. किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं, जब वो पूर्णता का अहसास कराते हैं. आज वही पल है जो देश के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है, जिसे मिटा पाना मुश्किल है.

PM मोदी ने कहा कि हम आजादी के इतने साल तक एक अधूरापन लेकर चल रहे थे, लेकिन आज भारत के वर्तमान ने सरदार के विराट व्यक्तित्व को उजागर करने का काम किया है. आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तो ये काम भविष्य के लिए प्रेरणा का आधार है.

उन्होंने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे सरदार साहब की इस विशाल प्रतिमा को देश को समर्पित करने का अवसर किया है. जब मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर इसकी कल्पना की थी, तो कभी अहसास नहीं था कि प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे ये पुण्य काम करने का मौका मिलेगा. इस काम में जो गुजरात की जनता ने मेरा साथ दिया है, उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं.
 

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं जिस मिट्टी में पला बढ़ा, जिनके बीच में मैं बढ़ा हुआ उन्होंने ने ही मुझे सम्मान पत्र दिया. ये वैसा ही जैसे कोई मां अपने बेटे की सिर पर हाथ रखती है. उन्होंने कहा कि मुझे लोहा अभियान के दौरान मिले, लोहे का पहला टुकड़ा भी दिया गया है. हमने इस अभियान में लोगों से मिट्टी भी मांगी थी. देश के लाखों किसानों ने खुद आगे बढ़कर इस शुभ काम के लिए लोहा और मिट्टी दी. 

पहाड़ को तराशकर मूर्ति बनाना चाहता था

प्रधानमंत्री बोले कि आज मुझे वो पुराने दिन याद आ रहे हैं, जी भरकर बहुत कुछ कहने का मन भी कर रहा है. किसानों ने इन प्रतिमा के निर्माण को आंदोलन बना दिया. जब मैंने ये विचार आगे रखा था, तो शंकाओं का वातावरण बना था. जब ये कल्पना मन में चल रही थी, तब मैं सोच रहा था कि यहां कोई ऐसा पहाड़ मिल जाए जिसे तराशकर मूर्ति बना दी जाए. लेकिन वो संभव नहीं हो पाया, फिर इस रूप की कल्पना की गई.

सिर्फ सरदार में दिखती थी आशा

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने उस समय खंडित पड़े देश को एक सूत्र में बांधा, तब मां भारती 550 से अधिक विरासतों में बंटी हुई थी. दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति बहुत निराशा था, तब भी कई निराशावादी थे. उन्हें लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से बिखर जाएगा. तब सभी को सिर्फ एक ही किरण दिखती थी, ये किरण थी सरदार वल्लभभाई पटेल.

सभी रजवाड़ों को एक साथ लाए थे पटेल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 5 जुलाई 1947 में रियासतों को कहा था कि विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, बैर का भाव हमारी हार की बड़ी वजह थी. अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और ना ही किसी का गुलाम होना है. देखते ही देखते भारत एक हो गया, सरदार साहब के कहने पर सभी रजवाड़े एक साथ आए.

उन्होंने कहा कि मेरा एक सपना भी है, इसी स्थान के साथ जोड़कर सभी रजवाड़ों का एक वर्चुअल म्यूज़ियम तैयार हो. वरना आज तो कोई तहसील का अध्यक्ष भी अपना पद नहीं छोड़ सकता है. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी के शौर्य का समावेश था.

…तो सोमनाथ मंदिर के लिए लेना पड़ता वीज़ा

पीएम मोदी ने कहा कि चाहे जितना दबाव, मतभेद क्यों ही ना हो लेकिन प्रशासन में गवर्नेंस को किस तरह स्थापित किया जाता है, ये सरदार साहब ने करके दिखाया है. अगर सरदार साहब ने संकल्प नहीं किया होता तो आज गिर के शेर को देखने के लिए और शिवभक्तों के लिए सोमनाथ की पूजा करने के लिए, हैदराबाद में चारमिनार को देखने के लिए वीजा लेना पड़ता.

उन्होंने कहा कि अगर सरदार साहब ना होते तो सिविल सेवा जैसा प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने में हमें बहुत मुश्किल होती. सरदार के संकल्प से ही कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन चल पाती है. प्रधानमंत्री बोले कि ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को ये याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा.

सरदार को मिला हक का सम्मान

PM मोदी ने कहा कि इस प्रतिमा के निर्माण से जुड़े सभी मजदूरों, शिल्पकारों का मैं धन्यवाद देता हूं. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जो लोग इस काम से जुड़े हैं, वह भी इतिहास का हिस्सा बन गए हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अक्टूबर, 2010 को मैंने इसका विचार दुनिया के सामने रखा था, करोड़ों भारतीयों की तरह मेरे मन में एक ही भावना था कि जिस महापुरुष ने देश को एक करने के लिए इतना बड़ा काम किया उसे वो सम्मान मिलना चाहिए जिसका वो हकदार है.

आदिवासियों को मिलेगा रोजगार

PM मोदी बोले कि इस प्रतिमा के निर्माण से आदिवासियों को रोजगार मिलेगा, यहां अब टूरिस्ट आएंगे तो गरीबों के लिए रोजगार लाएंगे. आज का सहकार आंदोलन जो देश के अनेक गांवों की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बन चुका है, ये सरदार साहब की ही देन है. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हमारे देश की इंजीनियरिंग और तकनीक के सामर्थ्य का उदाहरण है, यहां एक एकता नर्सरी भी बननी चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यहां के चावल से बने ऊना मांडा, तहला मांडा, ढोकला मांडा यहां आने वाले पर्यटकों को पसंद आएंगे. सरदार साहब के दर्शन करने आने वाले टूरिस्ट सरदार सरोवर डैम, सतपुड़ा और विंध्य के पर्वतों के दर्शन भी कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि ये मूर्ति न्यू इंडिया की अभिव्यक्ति है.

हमारी मुहिम को राजनीति के चश्मे से देख रहे हैं लोग

पीएम मोदी बोले कि देश में कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति के चश्मे से देख रहे हैं, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए हमारी आलोचना की जाती है. जैसे हमने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो, हमारी कोशिश है कि भारत के हर राज्य को सरदार पटेल के विजन को आगे बढ़ाने में कोशिश करनी चाहिए.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में खास बातें…

– मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है. बता दें कि 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' ऊंचाई में अमेरिका के 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' (93 मीटर) से दोगुना है.

– इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से आप सरदार पटेल की छाती पहुंचेंगे और वहां से आप सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे और खूबसूरत वादियों का मजा ले सकेंगे. सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी.

– आपको बता दें, यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा. यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है. इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है. इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया.

– बता दें, इसके लिए मूर्ति के 3 किलोमीटर की दूरी पर एक टेंट सिटी भी बनाई गई है. जो 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन 3 स्टार होटल है. जहां आप रात भर रुक भी सकते हैं. वहीं स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीजें रखी जाएंगी.

यह प्रतिमा देश को समर्पित करने से पहले पीएम मोदी ने इस संबंध में एक ट्वीट भी किया. उन्होंने लिखा, 'सरदार पटेल की जयंती के मौके पर, 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' राष्ट्र को समर्पित की जाएगी. नर्मदा के तट पर स्थित यह प्रतिमा महान सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि है.'

 

 

 

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