सीमेंट की जगह अब कोलतार से बनेंगे राष्ट्रीय राजमार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग की कम से कम 300 परियोजनाओं को अगले साल मार्च तक पूरा करने के लिए सीमेंट की जगह अब कोलतार की सड़कें बनेंगी। केंद्र सरकार का कहना है कि इस समय सीमेंट कंपनियों ने कार्टेल बनाकर एक बार फिर सीमेंट महंगा कर दिया है, इसलिए सीमेंट के बजाय कोलतार से सड़कें बनाई जाएंगी। इससे न सिर्फ कम समय में ज्यादा सड़कें बनेंगी, बल्कि लागत भी 30 फीसदी तक कम हो जाएगी। 

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि तीन साल पहले जब राजमार्ग की परियोजनाओं के लिए इनपुट सामग्री की आपूर्ति के लिए इनाम-प्रो पोर्टल बनाया गया था, तब इस पर 120 रुपये प्रति बोरी (एक्स फैक्ट्री प्राइस) की दर से लाखों टन सीमेंट उपलब्ध थी। इसलिए अधिकतर परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) कोलतार के बजाय सीमेंट पर तैयार की गई। इस समय इनाम-प्रो पोर्टल पर भी सीमेंट की कीमत बढ़ कर 230 से 235 रुपये प्रति बोरी हो गई है, इसलिए इस कीमत पर सीमेंट खरीदने पर परियोजना संभाव्य (वाएबल) नहीं हो पाएगा।

सीमेंट के बराबर रेत की कीमत

बीते सप्ताह केंद्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इस समय उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में रेत की भीषण किल्लत है। इसकी वजह विभिन्न न्यायालयों द्वारा रेत के खनन पर लगाई गई रोक है। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां झारखंड से सड़क मार्ग से रेत लाना पड़ रहा है, जिससे उसकी कीमत से ज्यादा ढुलाई खर्च पड़ जाता है। इसी तरह, दक्षिण के कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में सड़क परियोजना के लिए मलयेशिया, फिलीपींस और इंडोनेशिया से रेत आयात करना पड़ रहा है।

कोलतार की सड़कें 30 फीसदी तक सस्ती

मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस समय सीमेंट का जो भाव है, उसके मुकाबले कोलतार की सड़कें 30 फीसदी तक सस्ती पड़ती हैं। यही नहीं, सीमेंट से सड़क बनाने को लेकर कंक्रीट तैयार करने, उसके परिवहन और सड़क निर्माण में बेहद प्रशिक्षित व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है। इसमें बेहद आधुनिक मशीनों से काम करना पड़ता है और सड़क निर्माण के बाद उसकी क्योरिंग करनी पड़ती है। यदि कोलतार से सड़कें बनाई जाएं, तो इन सब झंझटों से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए सीमेंट के मुकाबले कोलतार से सड़क बनाने में कम समय लगता है।

मार्च तक परियोजनाएं पूरी करने का लक्ष्य

सरकार ने तय किया है कि अगले साल मार्च तक देशभर में राजमार्ग की 300 से भी ज्यादा परियोजनाएं पूरी होंगी। इसके लिए गडकरी ने 100 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा लागत की 1,000 से भी ज्यादा परियोजनाओं की समीक्षा कर ली है। बताया जाता है कि जो परियोजनाएं जून 2019 में भी पूरी होने वाली थीं, उसे भी मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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