अर्धनारीश्वर भगवान शिव का स्वरूप मानकर रखें माता-पिता के प्रति श्रद्धा, करें उनका सम्मान

विजामि प्रमुख सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने कहा

योग व ध्यान की गुह्य विद्या से साधकों को परिचित कराया महाराजश्री ने 

हरि ॐ नमो नारायणाय से गूंजा बमलेश्वरी धाम 

डोंगरगढ़ विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का हुआ श्रीगणेश

डोंगरगढ़,  विश्व जागृति मिशन के डोंगरगढ़ मण्डल के तत्वावधान में तीन दिवसीय विराट भक्ति सत्संग महोत्सव का आग़ाज़ माँ बमलेश्वरी के चरण तल में शुक्रवार की सायंकाल विधिवत हुआ। मिशन के कल्पनापुरुष-संरक्षक सन्तश्री सुधांशु जी महाराज ने अपने प्रवचन का श्रीगणेश ‘हरि ॐ नमोनारायणाय’ से किया। उनके साथ हज़ारों ज्ञान-जिज्ञासुओं के सामूहिक गायन से पूरा बमलेश्वरी देवी मन्दिर प्रांगण गुंजायमान हो उठा।
 
छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों से पधारे ज्ञान-जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए प्रख्यात चिन्तक-विचारक एवं अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि डोंगरगढ़ का यह स्थान आद्यशक्ति माता विमलाई देवी का बहुत प्राचीन पवित्र स्थान है, जो आज बमलेश्वरी धाम के नाम से विख्यात है। उन्होंने कहा कि (शक्ति) की पूजा वास्तव में शिव की पूजा है और शिव की पूजा प्रकारान्तर से शक्ति की आराधना है। शिव और शक्ति को एक रूप बताते हुये उन्होंने भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि माता और पिता भी इसी तरह पूज्य होते हैं, दोनों को कभी भी पृथक् करके नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने माता-पिता की कृपा का हाथ अपने सिर पर सदैव बनाए रखने के लिए अपने जनक व जननी की सेवा करने का आहवान सभी से किया। 
 
श्री सुधांशु जी महाराज ने इस बात पर गहरी पीड़ा व्यक्त की कि आज अपने बच्चों के रहते हुये हज़ारों वृद्धजनों को दूसरों का सहारा तकने को मजबूर होना पड़ रहा है और उन्हें वृद्धाश्रमों में दिन गुज़रने पड़ रहे हैं। श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि माता-पिता के आँखों में पीड़ा के आँसू रखकर कोई भी व्यक्ति इस संसार में सुखी नहीं रह सकता। हमें उनकी सेवा करनी चाहिए और उनके जीवन की साँझ को सुखद बनाने के हर सम्भव प्रयास करने चाहिए। इसके पूर्व मुख्य यजमान श्री गोपाल खेमुका एवं सुमन खेमुका ने व्यासपूजन किया और गोंदिया के विधायक श्री गोपाल दास अग्रवाल, पूर्व आईएसएस अधिकारी श्री गणेश शंकर मिश्र एवं बमलेश्वरी मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ब्रजनन्दन भैयाजी सहित कई गण्यमान व्यक्तियों ने सुधांशु जी महाराज का डोंगरगढ़ में अभिनंदन किया।
 
शनिवार के पूर्वाहनक़ालीन सत्र में महाराजश्री ने हज़ारों की संख्या में मौजूद योग-जिज्ञासुओं को योग एवं ध्यान की विधा की गहराइयों से परिचित कराया। उन्होंने योग-जिज्ञासुओं को कई योगासन सिखाए। जीवन में स्वाँस प्रश्वांस का महत्व समझाते हुये सुधांशु जी महाराज ने कहा कि गहरी श्वांस व प्राणायाम जैसी योग क्रियाएँ इसे नियंत्रित करती हैं, जिससे हमारी प्राणशक्ति मज़बूत बनती है। प्राणशक्ति के धनी लोग आत्मबल एवं मनोबल के धनी बनते हैं। उन्होंने मानव जीवन का असली आनंद लेने के लिए योगासनों को और इनकी महत्वपूर्ण विधा ध्यान को दैनन्दिन जीवन में उतारने का आहवान  सभी से किया। उन्होंने व्यस्त जीवन में कार्य की व्यस्तताओं के बीच भी सहज रूप से की जाने वाली ध्यान-योग की विधियाँ साधकों को सिखलाईं। उन्होंने आरोग्यता, आत्मनिर्भरता, पारिवारिक प्रसन्नता, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं गुरुनिष्ठा-ईश्वरनिष्ठा को स्वस्थ जीवन के पंचशील सिद्धान्त की संज्ञा दी।
 
विश्व जागृति मिशन के डोंगरगढ़ मण्डल के प्रधान श्री एन. आर. देवांगन ने बताया कि रविवार को मध्याहन 12.30 बजे से सामूहिक मन्त्र दीक्षा का कार्यक्रम शुरू होगा, जिसमें भाग लेने के लिए पंजीयन प्रक्रिया कार्यक्रम स्थल के समीप चल रही है।
 
सत्संग महोत्सव का संचालन एवं समन्वयन विश्व जागृति मिशन के निदेशक श्री राम महेश मिश्र ने किया।

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