इन 5 के सिर कटने के बाद जिंदा होने की अजब-गजब है कहानी

आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे पौराणिक चरित्रों के बारे में जिनका सिर उनके धड़ से अलग हो चुका था, लेकिन उन्हें दोबारा सिर लगाकर जीवन दिया गया…

भगवान गणेश
स्नान के लिए जाते वक्त माता पार्वती ने बालक गणेश को द्वार पर बैठा दिया ताकि कोई अंदर न आ सके। इस पर शिव भगवान जब माता पार्वती से मिलने आए और गणेश भगवान ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया तो शिव ने उनका सिर काट दिया। बाद में गज का सिर लगाकर गणेश जी को पुर्नजीवित किया गया।

हयग्रीव भगवान
एक बार भगवान विष्णु अपने युद्ध में थक जाने के कारण धनुष से टेक लगाकर सोए हुए थे। इस बीच देवताओं ने एक यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में भगवान को शामिल करने के लिए उन्हें नींद से जगाना था इसके लिए देवताओं ने धनुष की डोर काट दी परिणाम यह हुआ कि भगवान का सिर कट गया। दरअसल यह घटना देवी लक्ष्मी के शाप की वजह से हुई थी। आदिशक्ति के कहने पर भगवार विष्णु के धड़ पर घोड़े का सिर लगा दिया गया और यह भगवान विष्णु का हयग्रीव अवतार कहलाया। दरअसल इस अवतार की जरूरत इसलिए हुई थी कि मधु और कैटभ नामक असुर का संहार कर सकें।

दक्ष प्रजापति
सती द्वारा आत्मदाह करने के बाद भगवान शिव के अवतार वीरभद्र ने सती के पिता दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया था। बाद में इन्हे बकरे का सिर लगाकर जीवित किया गया था।

बर्बरीक
अब इन्हें भगवान खाटू श्याम जी के नाम से जाना जाता है। बर्बरीक सबसे सशक्त योद्धा थे, अगर ये महाभारत के युद्ध में शामिल होते तो कौरवों की जीत तय थी। ऐसे में भगवान कृष्ण ने दक्षिणा में इनका सिर मांग लिया था। युद्ध के बाद इन्हें पुन: जीवित कर श्रीकृष्ण ने वरदान दिया कि कलयुग में इन्हें खाटूश्याम जी के नाम से जाना जाएगा।

अर्जुन
धनुर्धर अर्जुन का एक बार अपने बेटे बभ्रुवाहन से युद्ध हुआ, उस युद्ध के दौरान बभ्रुवाहन ने अर्जुन का सिर काट दिया। इस पर अर्जुन की पत्नी नागकन्या उलुपी ने अपनी नागमणि की शक्ति से अर्जुन का सिर फिर से जोड़ उन्हें जीवन दान दिया।

रावण
रावण को एक सिर कटने के बाद स्वत: दूसरा सिर आने का वरदान प्राप्त था। जैसे ही उसका एक सिर कटता उसकी जगह दूसरा सिर आ जाता।

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