उलझनों में फंसा हिंदू नववर्ष, घटे नवरात्र भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या डालेंगे प्रभाव

ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र प्रतिपदा को प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन से संवत्सर प्रारंभ होता है। शास्त्रनुसार एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 116 साल पहले इसी दिन ब्रह्मदेव ने सृष्टि का सृजन किया था। राजा विक्रमादित्य ने 2074 साल पहले इसी दिन राज्य स्थापित कर विक्रम संवत प्रारंभ किया था। श्रीराम का राज्याभिषेक इसी दिन किया गया था। नवरात्र स्थापना का पहला दिन भी यही होता है। इस दिन शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित पर शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ किया था। सिंध प्रांत के मान्यतानुसार वरुणदेव के अवतार झूलेलाल भी इसी दिन प्रकट हुए थे। युगाब्द संवत्सर 5119 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।


मंगलवार दिनांक 28.03.17 के मतानुसार इस संवत का राजा मंगल व मंत्री गुरु होने से खेती और कार्य में वृद्धि होगी। बुधवार दिनांक 29.03.17 के मतानुसार संवत्सर का नाम "शुभ" के राजा बुध व मंत्री होने से धर्म और व्यापार के क्षेत्र में प्रगति व उन्नति होगी। बृहस्पति का कन्या राशि में परिभ्रमण व पूर्व से शुक्र-सूर्य से मीन राशि में गोचर की दृष्टि से केंद्र योग भी बन रहा है। इस अनुसार यह भारत के लिए शुभ व मंगलकारी रहेगा। इस संवत में धर्म की जीत के आसार हैं इसी के साथ ही व्यापार में अत्यधिक तेज़ी आएगी। परंतु इस साल नवरात्र नौ की जगह आठ दिन के होंगे। संवत 2074 में दो सूर्य व दो चंद्र ग्रहण पड़ेंगे। हालांकि दोनों सूर्य ग्रहण देश में नहीं दिखेंगे। पहला चंद्र ग्रहण 07.08.17 व दूसरा 31.01.18 को होगा।

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