जस्टिस चेलमेश्वर आज सुप्रीम कोर्ट से होंगे रिटायर, कोलेजियम में होगा बड़ा बदलाव

नई दिल्ली,  चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ बगावत करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार न्यायाधीशों में शामिल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर आज रिटायर होंगे. चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट में करीब सात साल से कार्यरत थे. चेलमेश्वर के रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.


रिटायर होते ही जस्टिस चेलमेश्वर कोलेजियम से बाहर होंगे और उनकी जगह जस्टिस एके सीकरी शामिल होंगे. आपको बता दें कि जस्टिस सीकरी की अगुवाई वाली बेंच ने ही हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में उभरी राजनीतिक उथापुथल के बीच 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था.


अब कौन-कौन कोलेजियम में शामिल?


उनके अलावा कोलेजियम में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरिनय जोसेफ शामिल हैं. कहा जाता है कि जस्टिस एके सीकरी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के भरोसेमंद हैं, ऐसे में कोलेजियम में उनका साथ मजबूत हो सकता है.


चार जजों ने CJI पर खड़े किए थे सवाल


न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, एम.बी लोकुर और कुरियन जोसेफ के साथ मिलकर चेलमेश्वर ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी.एच लोया की रहस्यमय मौत के मामले पर सवाल उठाए थे. बता दें कि जस्टिस लोया की मौत एक दिसंबर 2014 को हुई थी.


12 जनवरी 2018 को इन चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था. जिसने न्यायपालिका पर सवाल खड़े कर दिए थे. जस्टिस चेलमेश्वर ने कड़ी टिप्पणियों में कहा था, 'कई चीजें पिछले कुछ महीनों में ऐसी हुई जो उचित नहीं हैं.'


उन्होंने कहा था कि 'जब तक इस संस्थान (सुप्रीम कोर्ट) को संरक्षित नहीं किया जाता और जब तक यह अपना संतुलन नहीं बना सकता, इस देश में लोकतंत्र कायम नहीं रह जाएगा. अच्छे लोकतंत्र की पहचान निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायाधीश होते हैं.'


कई अहम फैसलों में रहे शामिल


जस्टिस चेलमेश्वर शनिवार को 65 वर्ष के हो जाएंगे. वह नौ न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था. वह न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्ति से संबंधित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को निरस्त किया था, हालांकि चेलमेश्वर पीठ से अलग फैसला देने वाले एकमात्र न्यायाधीश थे.


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चेलमेश्वर ने कहा था, 'कोलेजियम की कार्यवाही पूरी तरह से अस्पष्ट, जनता तथा इतिहास के लिए पहुंच से दूर है.' न्यायाधीशों द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति वाली कोलेजियम प्रणाली का विरोध करते हुए चेलमेश्वर ने 2016 के एनजेएसी पर फैसले के बाद उच्चतर न्यायपालिका में पारदर्शिता आने तक उच्चतम न्यायालय की कॉलेजियम बैठकों में नहीं जाने का फैसला किया था. हालांकि बाद में उन्होंने कोलेजियम बैठकों में भाग लिया था.


नियुक्ति को लेकर हुआ था कोलेजियम में विवाद


चेलमेश्वर सहित पांच सदस्यीय कोलेजियम की एक बैठक में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के.एम जोसेफ को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के लिए उनके नाम की फिर से सिफारिश करने से सैद्धांतिक सहमति बनी थी, क्योंकि केंद्र ने उनके नाम पर फिर से विचार करने के लिए फाइल वापस भेजी थी.


चेलमेश्वर सूचना प्रौद्योगिकी कानून की विवादित धारा 66 ए को निरस्त करने वाली पीठ में भी शामिल थे. यह धारा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को वेब पर आपत्तिजनक सामग्री डालने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देती थी. एक असामान्य कदम के तहत न्यायमूर्ति चेलमेश्चर ने विदाई समारोह में भाग लेने के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का न्यौता ठुकरा दिया था. हालांकि वह परंपरा का पालन करते हुए गर्मियों की छुट्टियों से पहले अपने अंतिम कार्यदिवस (वर्किंग डे) 18 मई को सीजेआई मिश्रा के साथ पीठ में बैठे थे.


गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के मोव्या मंडल के पेड्डा मुत्तेवी में 23 जून 1953 को जन्मे चेलमेश्वर की शुरुआती पढ़ाई कृष्णा जिले के मछलीपत्तनम के हिंदू हाईस्कूल से हुई और उन्होंने ग्रेजुएशन चेन्नई के लोयोला कॉलेज से फिजिक्स में किया. उन्होंने कानून की डिग्री 1976 में विशाखापत्तनम के आंध्र विश्वविद्यालय से ली. वह तीन मई 2007 को गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे और बाद में केरल हाईकोर्ट में ट्रांसफर हुआ. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर 10 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे.


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