नोटबंदी: 18 लाख खातों की जांच में इनकम टैक्स विभाग को 8 साल लगेंगे

नोटबंदी के बाद टैक्स प्रोफाइल से मेल नहीं खाने वाले 18 लाख खातों के खिलाफ कार्रवाई करने में आयकर विभाग को आठ से दस साल लग सकते हैं। विभाग के सामने दो तरफा चुनौती है। एक ओर जटिल और लंबी कानूनी प्रक्रिया है, जबकि दूसरी ओर विभाग में केवल 50 हजार कर्मचारी हैं। ऐसे में विभाग के लिए नोटिस भेजने के बाद का रास्ता काफी मुश्किल है।

13 लाख को नोटिस

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नोटबंदी के दौरान ही बैंकों को उन खातों की जानकारी देने को कहा था, जिनमें ढाई लाख से अधिक रकम जमा हुई है। यह पुख्ता सूचना मिलने के बावजूद विभाग अभी तक इस नतीजे पर नहीं पहुंच सका है कि कितने खातों में आय से ज्यादा रकम जमा है। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबकि फिलहाल संदेह के आधार पर 13 लाख खाताधारकों को नोटिस भेजे गए हैं। शेष पांच लाख लोगों को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है, लेकिन नतीजे तक पहुंचना बहुत कठिन है।

विभाग को सामान्य प्रक्रिया निभाने में ही कम से कम दो साल लग जाएंगे। इनमें नोटिस और जवाब नहीं मिलने पर दो बार रिमाइंडर, फिर व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश शामिल है। प्रतिपक्ष का जवाब मिलने पर आय के हिसाब से कर आकलन किया जाना और अगर प्रतिपक्ष आकलन नहीं स्वीकार करता तो आगे लंबी कानूनी लड़ाई में भी समय लगेगा। अगर 18 लाख में तीन से चार लाख खातों में जमा रकम आय के मुताबिक नहीं मिलती। तब भी यह साबित करने में आठ से दस साल लग जाएंगे। यह समय कम हो सकता था अगर आयकर विभाग में 30 प्रतिशत खाली पड़े पद नोटबंदी के दौरान भर लिए जाते।

आयकर विभाग में 30 फीसदी पद खाली

विशेषज्ञों की मानें तो आयकर विभाग के अधिकारियों के लिए कई अधिकारों से लैस करने की घोषणा की है। इससे उन्हें भविष्य में बड़ी ताकत मिलेगी, लेकिन हर साल कई करोड़ के आयकर रिटर्न का आकलन और बड़े टैक्स चोरों से निपटना जैसे तमाम रोजमर्रा के काम पहले ही विभाग पर भारी हैं। सीआईटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक साढ़े तीन लाख मामले लंबित पड़े हैं। उनकी पैरवी भी करनी है, ऐसे में नोटबंदी के दौरान लाखों खातों में जमा लाखों की राशि में कर चोरी का पता लगाना चुनौतीपूर्ण ही नहीं बल्कि समय लेने वाला भी है। हजार स्वीकृत पदों में से 30-35 प्रतिशत खाली हैं। केंद्र सरकार कर्मचारी फेडरेशन के अध्यक्ष केकेएन कुट्टी भी विभाग में 30 प्रतिशत अधिकारियों और कर्मियों की कमी पर चिंता जता चुके हैं।

टैक्स विशेषज्ञ वेद जैन और वरिष्ठ कंपनी सचिव अरुण कुमार सिंह का भी मानना है कि इन मामलों को अंजाम तक ले जाना टेढ़ी खीर है। उन्होंने कहा, सामान्य मामलों में भी दो साल का समय लग जाता है। इस समय तो 18 लाख खातों पर संदेह है। अरुण के मुताबिक विभाग प्रोफाइल जांचने, निगरानी और आकलन के लिए एक बहुत ही अच्छा प्रोग्राम तैयार करा रहा है, लेकिन सवाल ये है कि चलाने वाले तो होने चाहिए। पहले ही 72 हजार स्वीकृत पदों में से 30-35 प्रतिशत खाली हैं। ऐसे में 18 लाख में आधे भी अगर समुचित कर का भुगतान नहीं करने वाले लोग हैं, तो आठ-दस साल लगना तय है।

आयकर विभाग ने हाल ही में 13 लाख लोगों को भेजे गए नोटिस का जवाब 10 दिनों में ऑनलाइन भेजने को कहा है। इन सभी जवाब को जांचने में कम से कम चार महीने का समय लगेगा, जबकि इसमें पांच लाख जवाब शामिल नहीं है। जिनके जवाब नहीं मिले उन्हें दो रिमाइंडर और इसके बावजूद कोई जवाब नहीं मिलने पर आगे की प्रक्रिया विभाग के बड़ी चुनौती है।

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