‘पहले सेक्स, फिर शादी का वादा, यह रेप नहीं’

नई दिल्ली
राजधानी में जितने भी रेप केस दर्ज होते हैं, उनमें सबसे ज्यादा मामले शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने के होते हैं। जानकारों के मुताबिक, कानून की नजर में इसे रेप जैसा ही जघन्य अपराध माना गया है। यह अलग बात है कि इस कानूनी सिद्धांत का 'मिसयूज' ज्यादा होता है। दो बालिग आपसी सहमति से संबंध बनाते हैं, फिर किन्हीं वजहों से विवाद पर रेप संबंधित कानून को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इस सिलसिले में राजधानी की एक स्पेशल फास्ट ट्रेक कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है।

चाणक्यपुरी की एक एंबेसी में रहने वाले युवक पर आरोप लगा कि उसने एक युवती से जबर्दस्ती शारीरिक संबंध बनाए। इस केस की सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि,'कोर्ट के सामने ऐसा कोई विश्वसनीय या ठोस साक्ष्य पेश नहीं किया गया, जिससे जाहिर होता हो कि अभियुक्त ने युवती से जबर्दस्ती या शादी का झूठा आश्वासन देकर शारीरिक संबंध बनाए।' बल्कि कोर्ट ने माना कि खुद युवती के बयान से जाहिर होता है कि आरोपी और उसके के बीच शारीरिक संबंध पहले बने, मामला पुलिस के सामने पहुंचने पर अभियुक्त ने उससे शादी का वादा किया। इस आधार पर कोर्ट बचाव पक्ष की दलील से सहमत हुई कि अभियुक्त और युवती के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने थे, बाद में अभियुक्त पर शादी का दबाव बनाया गया, विवाद पुलिस के सामने पहुंचा तो अभियुक्त ने शादी का वायदा किया। ऐसे में शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने का आरोप बेबुनियाद है।

केस से जुड़े तथ्य
यह केस 10 फरवरी 2015 को बाबा हरिदास नगर थाने में दर्ज हुआ था। आरोपी युवक एंबेसी के स्टाफ क्वॉर्टर में परिवार समेत रहता है। उसके खिलाफ युवती ने पुलिस को बयान दिया कि उसकी एक कॉल सेंटर में इंटरव्यू के दौरान आरोपी से मुलाकात हुई थी। फिर फोन पर बातें होने लगीं। नवंबर 2014 में आरोपी उसे अपना नया घर दिखाने के बहाने ले गया और वहां उसकी मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाए। उसके बाद शादी का वादा किया। फिर जनवरी 2015 में शारीरिक संबंध बनाए। तब भी भरोसा दिलाया कि जल्द शादी कर लेगा। युवती के अनुसार, उसने आरोपी से शादी करने के लिए कई बार अनुरोध किया, लेकिन वह अनसुना करता रहा। 5 फरवरी 2015 को पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई। अभियुक्त ने थाने के अंदर अपने परिजनों के सामने वादा किया कि अगली 10 फरवरी को कोर्ट में शादी करेगा। इस आधार पर पुलिस ने आगे कार्रवाई नहीं की, लेकिन आरोपी फिर से शादी के वादे से मुकर गया। इन तथ्यों के आधार पर अदालत ने माना कि अभियुक्त और शिकायतकर्ता युवती के बीच शारीरिक संबंध नवंबर 2014 और जनवरी 2015 के बीच बने, लेकिन शादी का वादा 5 फरवरी 2015 में किया गया। जबरन शारीरिक संबंध बनाने और शादी का झांसा देने का आरोप साबित नहीं हुआ।

 

भगौड़ा करार देने पर सवाल
इस मामले में पुलिस ने आरोपी को कोर्ट से भगौड़ा करार दिलवाया था, जिसे आठ महीने बाद स्पेशल स्टाफ ने अरेस्ट किया था। कोर्ट में उसे भगौड़ा करार दिए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठे। बचाव पक्ष ने यह साबित किया कि आरोपी को भगौड़ा करार दिए जाने की कार्रवाई सही तरीके से पूरी नहीं हुई, जिससे अभियुक्त अन्जान रहा। अभियुक्त एंबेसी में रहता था, जिसमें पुलिस बिना अनुमति एंट्री नहीं कर सकती, लेकिन उसे भगौड़ा करार दिए जाने से पूर्व पुलिस के जांच अधिकारी ने संबंधित एंबेसी के किसी अधिकारी से संपर्क नहीं किया।

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