शुक्र का मिथुन में भ्रमण नई मुश्किलों को उभारेगा, पिछले वर्ष भी बने थे ऐसे कठिन हालात

2016 में शुक्र ने मिथुन राशि में 13 जून से लेकर 7 जुलाई तक भ्रमण किया था, जिस दौरान भारत में अनेक घटनाएं घटित हुई थीं, जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। कश्मीर घाटी में पमपोर में हुआ हमला, ए.एन.-32 हवाई जहाज के गायब होने, कश्मीर में मुख्य रूप से फैली अशांति, उत्तराखंड में 30 लोगों की मौतें आदि प्रमुख हैं। 


ज्योतिष डा. संजय चौधरी के अनुसार इस वर्ष शुक्र का भ्रमण मिथुन राशि में 26 जुलाई से लेकर 21 अगस्त तक होने जा रहा है, जो भारत में कई प्रकार की घटनाओं के घटित होने की तरफ संकेत कर रहा है। उन्होंने कहा कि शुक्र वास्तव में सौंदर्य व प्रेम का ग्रह माना जाता है तथा यह मीन राशि में उच्च तथा कन्या राशि में नीच का होता है। उसकी मूल त्रिकोण राशि तुला है तथा शुक्र वृष व तुला राशि का स्वामी है। 


उन्होंने कहा कि भारत की कुंडली में शुक्र वास्तव में लग्र का स्वामी है। यह देखा गया है कि जब भी शुक्र मिथुन राशि में संचार करता है तो भारत के सामने अप्रत्याशित समस्याएं खड़ी होती हैं। मिथुन राशि में अष्टक वर्ग चार्ट की दृष्टि से केवल 19 बिंदू आते हैं, जोकि चार्ट में सबसे न्यूनतम हैं, इसलिए समस्याओं के उभरने के साफ संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार शुक्र का मिथुन राशि में भ्रमण और भी घातक रहने के आसार हैं, क्योंकि भारत को इस समय चंद्रमा महादशा में राहू की अंतर्दशा व शनि की परतंत्र दशा चल रही है। मंगल पहले ही नीच राशि में संचार कर रहा है। 17 अगस्त के बाद राहू भी मंगल के साथ आ मिलेगा जो अंगारक योग का निर्माण करेगा, जिससे युद्ध जैसे हालात पैदा होने का अंदेशा है। 


उन्होंने कहा कि भारत का चीन के साथ सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से अकारण फायरिंग की जा रही है। भारत के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं तथा जी.एस.टी. को लेकर व्यापारिक समुदाय के अंदर असंतोष पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि शुक्र का गोचर में जब भ्रमण मिथुन राशि में शुरू हो जाएगा तो उक्त सभी घटनाएं अनुमान से कहीं ज्यादा बढ़ जाएंगी। मौजूदा सरकार को अभी से ऐसी घटनाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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