अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में भारत रत्न डाक्टर भीमराव आंबेडकर पुण्यतिथि पर कार्यशाला आयोजित हुई

 

 

भोपाल ।अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में भारत रत्न डाक्टर भीमराव आंबेडकर के 65 वें पुण्यतिथि पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। जिसका विषय भारत रत्न डाक्टर भीमराव आंबेडकर और सामाजिक समरसता था। जिसकी अध्यक्षता अटल बिहारी वाजपेयी के कुलपति प्रोफेसर खेम सिंह डहेरिया थे। मुख्य अतिथि लोक सेवा आयोग मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रोफेसर राजेश लाल बोहरा, विशिष्ट अतिथि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलाधिपति डाक्टर प्रकाश बरतुनिया एवं लोक सेवा आयोग मध्यप्रदेश सदस्य डाक्टर देवेंद्र मरकाम और मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल के पूर्व प्राध्यापक प्रोफेसर सदानंद सप्रे थे। मुख्य अतिथि का स्वागत कुलपति प्रो खेमसिंह डेहरिया अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा श्रीफल पुष्पगुच्छ दे देकर किया गया। मुख्य अतिथि राजेश लाल बोहरा ने अपने उद्बोधन में डाक्टर भीमराव अंबेडकर को समरसता का घोतक बताया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति हमारी परंपराएं हमारे बीच हमारे पुराण सांस्कृतिक जो भी धरोहर है और समरसता का प्रतीक वही डाक्टर भीमराव आंबेडकर के जीवन में देखा जा सकता है। उनके दर्शन के बिना समर्थ भारत समरसता भारत की कल्पना बेमानी होगी उन्होंने अपनी बात एक लघु कथा सुनाकर समाप्त की।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर सदानंद सप्रे अपने उद्बोधन में बताया के आंबेडकर ऐसा व्यक्तित्व है जिसने विपरीत परिस्थितियों में नए आयाम स्थापित किए, जो शिक्षा लोग सात वर्ष में प्राप्त करते हैं। उन्होंने तीन वर्ष में प्राप्त की। उनकी पुस्तक कोलंबिया के विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में लागू की। भारतीय लोगों ने उनकी समरसता भाव को बाद में पहचाना। अंग्रेजों ने पहले पहचान लिया। उनके तीन मंत्र थे समानता समरसता और बंधुत्व उन्होंने गौतम बुद्ध से प्रणाली और उन्हीं से ज्ञान प्राप्त किया। उनका सारा जीवन राष्ट्र चिंतन में गया। विश्व में विसंगतियां अमेरिका में गुलाम पद्धति अफ्रीका में नस्ल पद्धति इस सब का समापन हिंसा से हुआ पर भारत में अस्पृश्यता राष्ट्र चिंतन के साथ समाप्त की गई। उनकी दूरदर्शिता जो वैश्विक रूप से पेयजल की समस्या नदी का जोड़ना यह उनकी प्राथमिकता थी उनका सारा जीवन समरसता का प्रतीक माना जाता है।

संविधान निर्माण में आंबेडकर की महत्ता आवश्यकता थी

विशिष्ट अतिथि लोक सेवा आयोग सदस्य डाक्टर मरकाम ने बताया कि सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया की परिकल्पना उनके जीवन में दिखती है। किसी से भेद नहीं करना समरसता के सूत्रधार थे। वे अछूत वर्ग के मसीहा थे। संविधान निर्माण में उनकी महत्ती आवश्यकता थी। मसौदा समिति प्रारूप समिति के सदस्य थे। विशिष्ट अतिथि डा. प्रकाश बरतुनिया ने बताया संविधान की उद्देशिका प्रस्तावना में समता ,समानता और बंधुत्व यह तीन कार्य की समरसता के पर्याय हैं उन्होंने अनेकों पुस्तकें लिखी 18 से 20 घंटे अध्ययन करते थे। 10 से अधिक आंदोलन प्रक्रिया में शामिल हो गए। पूना पैक्ट में हस्ताक्षर करते समय उनकी आंखें आंसू पूर्ण हो गई उनका सारा जीवन समरसता और राष्ट्रीय चिंतन में ही गया। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि महाकुंभ समरसता का अद्भुत उदाहरण हमारी सनातन चारधाम 52 शक्ति पीठ यह भी समरसता के प्रतीक है। कुलपति प्रोफेसर खेम सिंह डहेरिया ने कहा कि डाक्टर भीमराव आंबेडकर को एक विशाल व्यक्तित्व और दूरदृष्टि रखने वाला व्यक्ति बताया। व्याख्यानमाला का आभार कुलसचिव यशवंत सिंह पटेल ने माना। संचालन राहुल शर्मा ने किया। कार्यक्रम में वित्त अधिकारी उषा सरयाम, जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र सुल्लेरे, डा अनीता चौबे समस्त शिक्षक विद्यार्थी कर्मचारी उपस्थित रहें।

 

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