अपने कमांडर से नाराज होकर पाकिस्तान गया था सिपाही चन्दू चौहान

अमृतसर (नीरज): कभी बी.एस.एफ. जवान की तरफ से उसको दिए गए खाने की घटिया क्वालिटी का वीडियो जारी करना तो कभी सेना के जवानों की तरफ से अपने अधिकारियों की तानाशाही के खिलाफवीडियो जारी करने के मामलों से सारा देश हैरान है, वहीं पाकिस्तानी सेना की हिरासत से 4 महीने बाद रिहा होकर आए राष्ट्रीय राइफल्ज के जवान चन्दू बाबू लाल चौहान के मामले में भी एक नया खुलासा हुआ है।

–– ADVERTISEMENT ––


रक्षा मंत्रालय के अनुसार चन्दू चौहान गलती से नहीं, बल्कि अपने कमांडर से नाराज होकर पाकिस्तान चला गया था। उसने पाकिस्तानी सेना के समक्ष सरैंडर किया था। पाकिस्तानी अधिकारियों की तरफ से उसको समझाने के बाद चन्दू चौहान वापस भारत लौटा, हालांकि पाकिस्तानी सेना, जो भारतीय सैनिकों, जिनमें ज्यादातर राष्ट्रीय राइफल्ज के सैनिकों के सिर काटकर गर्व महसूस करती है, ऐसी सेना की तरफ से भारतीय सैनिक को रिहा कर देना कई सवाल खड़े कर रहा है, लेकिन चन्दू चौहान की सच्चाई पता चलने के बाद यह तो सामने आ ही गया है कि चन्दू ड्यूटी के दौरान पाकिस्तान नहीं गया था, बल्कि वह अपने अधिकारी सेे नाराज होकर पाकिस्तान गया था। इस घटना से पाकिस्तानी सेना में तो इस भारतीय सैनिक व सेना का मजाक बना ही है, वहीं सेना के अधिकारियों को भीअपने रवैये की समीक्षा करने की जरूरत है कि इस प्रकार की घटनाएं क्यों हो रही हैं? इन घटनाओं पर भविष्य में कैसे काबू पाया जा सकता है?


सेना व पैरा-मिलिट्री फोर्स अपने अनुशासन व फिटनैस के लिए जानी जाती है। ऐसे में अनुशासन भंग होने के मामलों के पीछे क्या कारण हैं, इस पर भी गंभीरता के सााथ विचार करने की सख्त जरूरत है। कुछ पूर्व सैनिक अधिकारियों से जब इस मामले पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि आज व्हाट्सएप, ई-मेल, फेसबुक का युग है, जिससे हर प्रकार की सूचनाकुछ सैकेंड में ही पूरे विश्व में भेजी जा सकती है। सैनिकों के पास भी ये सभी सुविधाएं हैं। इन हालात में जब उनके घरों में कोई बच्चा, बीवी या कोई अन्य सदस्य बीमार हो जाता है या फिर कोई अन्य घटना हो जाती है तो इससे सैनिक के मन पर तुरंत प्रभाव पड़ता है, लेकिन तुरंत छुट््टी नहीं मिलती, जिससे सैनिक के मन में विद्रोही विचार आते हैं, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने से पहले ऐसा नहीं था। जब किसी सैनिक को चिट्ठी मिलती थी कि उसके परिवार का कोई सदस्य बीमार है तो जितने दिनों बाद सैनिक को चिट्ठी मिलती थी, तब तक बीमार सदस्य ठीकभीहो जाता था।

Leave a Reply