अमेरिका और उत्तर कोरिया में छिड़ी जंग, तो हम तक ऐसे आएगी आंच

उत्तर कोरिया ने एक और मिसाइस का परीक्षण किया है। इससे तनाव बढ़ गया है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर लगाम कसने की आक्रामक कोशिश की है। इसके बावजूद तानाशाह किम जोंग उन का 'सनकीपन' कम नहीं हुआ है। उल्टा क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुंच गया है। परमाणु युद्ध की भी आशंका जताई जाने लगी है। ऐसे में सवाल उठता है कि जंग छिड़ी, तो भारत पर क्या असर होगा? क्या भारत सीधे तौर पर इसका हिस्सा बनेगा? इसी से जुड़ी अहम बातों पर naiduina.com ने विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह और विवेक काटजू से बात की-

भारत तक ऐसे पहुंचेगा तनाव: रहीस सिंह के अनुसार, चीन का झुकाव उत्तर कोरिया की ओर नजर आ रहा है। यदि तनाव बढ़ता है, तो अमेरिका और चीन आमने-सामने हो जाएंगे और इसकी सीधी आंच बाकी एशियाई देशों पर आएगी। जापान, ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, वियतनाम और रूस के सीधे तौर पर युद्ध में शामिल होने का खतरा पैदा हो जाएगा। इस युद्ध में भारत सीधे-सीधे शामिल नहीं होता है, तो भी उसके द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा।

इन मोर्चों पर असर: भारत आज अच्छी प्रगति कर रहा है, तो इसका बड़ा कारण ईस्ट एशियन और साउथ ईस्ट एशियन देशों से हमारी अर्थव्यवस्था को मिल रहा बूस्ट है। युद्ध होता है, तो यह ब्लॉक हो जाएगा। एच1बी वीजा पर अमेरिका की बदली हुई नीतियों के बाद वहां जाकर नौकरी करने जाने वाले हमारे युवाओं पर पहले ही असर पड़ेना शुरू हो गया है। ऐसे में हमारे लिए दूसरा रास्ता यूरोप और तीसरा रास्ता दक्षिण-पूर्व एशिया का है। अगर यह युद्ध छिड़ता है, तो इन रास्तों के भी बंद होने का खतरा बढ़ेगा।

चीनी सीमा पर बढ़ेगा तनाव: चीन पहले से हमारे खिलाफ है। वो भारत से सटी सीमा पर तनाव बढ़ाने की कोशिश करेगा। चीन भी चाहेगा कि भारत न्यूट्रल न रहे।

न्यूट्रल नहीं रह पाएगा भारत, तो क्या जंग लड़ेगा: भारत पर दबाव डाला जाएगा कि वह युद्ध की स्थिति में न्यूट्रल न रहे यानी स्पष्ट करे कि वह किस धड़े के साथ है। फिर भी यदि भारत अपने रुख पर कायम रहता है, तो उसे अलग-थलग करने की कोशिश शुरू हो जाएगी। इसकी आशंका कम ही है कि भारत इस जंग में सीधे तौर पर शामिल हो। यदि भारत पर बहुत ज्यादा दबाव डाला गया और ऐसी स्थिति बनी, तो वह अमेरिका की तरफ जा सकता है।

…तो हमें आगे क्या करना होगा: अर्थव्यवस्था और सामरिक नीति पर फिर से काम करना होगा। अन्य देशों के साथ रिश्तों को भी पुनःपरिभाषित करना होगा। हो सकता है इस जंग के बाद के हालात से कुछ समय के लिए हमारी अर्थव्यवस्था ठहराव की स्थिति में आ जाए। हमें इसके लिए भी तैयार रहना होगा।

रूस ने नहीं खोले पत्ते: रूस ने अब तक पत्ते नहीं खोले हैं। वह चीन के साथ संबंध चाहता भी है और दूरी भी बनाए रखना चाहता है। दरअसल, रूस को लग रहा है कि आने वाले दिनों में चीन एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरेगा। ऐसे में वह काउंटर बैलेंसिंग की नीति अपनाकर चल रहा है। वो देखेगा कि उसका फायदा कहां है। आखिरी में रूस, अमेरिका के खिलाफ जा सकता है।

उत्तर कोरिया का रुख सबसे अहम: पूर्व विदेश सचिव विवेक काटजू के अनुसार, स्थिति गंभीर जरूर है। मगर, अभी यह कहना मुश्किल है कि युद्ध होगा या नहीं। ऐसे हालात पहले भी बन चुके हैं। देखने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तर कोरिया कहां तक जाता है। यदि वो मिसाइल टेस्ट और न्यूक्लियर टेस्ट जारी रखता है, तो बात बिगड़ सकती है।

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