आखिर वसंत ऋतु में ही पंछी क्यों गुनगुनाते हैं? जानिए क्या कहता है शोध…

क्या आपने कभी सोचा है कि पक्षी वसंत ऋतु में ही क्यों गाते हैं? आप कह सकते हैं कि यह मौसम के रूमानी होने का असर होता है, लेकिन अब नए शोध से यह बात सामने आई है कि जिस प्रकार मनुष्यों पर मौसम में उतार-चढ़ाव का असर होता है, उसी प्रकार पक्षी भी वसंत ऋतु में हार्मोन में बदलाव के कारण गाते हैं और हार्मोन में यह बदलाव दिन लंबे होने की वजह से होता है।

अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के एक दल ने पक्षियों के दिमाग में होने वाले परिवर्तन का पता लगाया है। उन्होंने पाया कि पीयूष ग्रंथि के समीप की कोशिकाएं वसंत ऋतु में एक हार्मोन छोड़ती हैं, जो उन्हें संसर्ग के लिए तैयार करता है। ब्रिटेन में रोसलिन इंस्टीट्यूट के मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर पीटर शार्प ने बताया है कि हमें यह पता था कि मौसम में परिवर्तन से दिमाग का कौन-सा हिस्सा प्रभावित होता है, लेकिन अब तक हमें यह नहीं पता था कि इसमें वास्तव में क्या प्रक्रिया होती है।

अब हमने वसंत ऋतु आने पर मस्तिष्क की सक्रियता की प्रक्रिया के मुख्य तत्व की पहचान कर ली है। पूर्व में इस प्रकार की खोज करना असंभव था, लेकिन अब आधुनिक तकनीकी ने हमें हजारों जींस को स्केन करने में सक्षम बना दिया है, जिससे हम पता लगा सकते हैं कि मौसम में बदलाव से कौन-सा हिस्सा प्रभावित होता है।

शोधकर्ताओं की टीम ने माइक्रो ऐरे नामक एक विशेष जीन चिप का इस्तेमाल कर जापानी क्वेल से लिए गए 28 हजार जींस को स्केन किया, जिस पर लंबे और छोटे दिनों के अनुसार कम-ज्यादा रोशनी पड़ी। उन्होंने पाया कि मस्तिष्क की सतह पर कोशिकाओं में जींस उस समय सक्रिय हो गए, जब पक्षी को अधिक रोशनी मिली। इसका परिणाम यह हुआ कि कोशिकाओं ने थायरोट्रोफिन नामक हार्मोन छोड़ना शुरू कर दिया।

पूर्व में वृद्धि तथा मैटाबोलिज्म से जुड़े इस हार्मोन ने अप्रत्यक्ष रूप से पीयूष ग्रंथि को सक्रिय कर दिया। इससे पक्षियों के अंडकोष बढ़ना शुरू हो गए और परिणामस्वरूप उन्होंने साथी को आकर्षित करने के लिए पुकारना शुरू कर दिया।

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