इंदौर को जीतने की जंग लड़ रहे दिग्विजय सिंह और कमलनाथ

इंदौर.ज्योतिरादित्य सिंधिया के दल बदलकर बीजेपी (BJP) में जाने के बाद से कांग्रेस (CONGRESS) में अभी तक सब ठीक नहीं हो पाया है. तमाम समीकरण बिगड़ गए हैं. लेकिन इंदौर (INDORE) पर सबकी नज़र है. पार्टी के आला नेता इंदौर पर अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं.इस बीच इंदौर शहर कांग्रेस में दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की सुगबुगाहट से स्थानीय नेताओं ने अपनी लामबंदी शुरू कर दी है. वे अपने आला नेताओं से मेल मुलाकात कर रहे हैं और राजधानी भोपाल के चक्कर भी लगा रहे हैं. इनमें युवा से लेकर वरिष्ठ नेता तक शामिल हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने से कांग्रेस के कई समीकरण बिगड़ गए हैं. सिंधिया समर्थक शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं वो पिछले 12 साल से कांग्रेस के शहर अध्यक्ष थे. उनकी काट के लिए कमलनाथ ने उस वक्त विनय बाकलीवाल को शहर कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था. कारण यही था कि कमलनाथ का दखल इंदौर की राजनीति में बना रहे है. और हुआ भी यही. कमलनाथ जो चाहते थे विनय बाकलीवाल वही करते थे. इसी कारण प्रमोद टंडन की कई बार उनसे टसल भी हुई. लेकिन जैसे ही प्रमोद टंडन बीजेपी में गए विनय बाकलीवाल शहर अध्यक्ष की नियुक्ति का लेटर ले आए.

दिग्विजय सिंह इंदौर में रखना चाहते हैं दखल
पू्र्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह आर्थिक राजधानी इंदौर में अपना दखल रखना चाहते हैं, क्योंकि इंदौर में उनका घर है. इंदौर के जीएसआईटीएस कॉलेज से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. एमपी का 70 फीसदी व्यवसाय इंदौर से ही चलता है. शहर में करीब 5 हजार छोटे बड़े उद्योग हैं. एजुकेशन और आईटी का सबसे बड़ा हब है. इसलिए इंदौर पर सबकी नजरें रहतीं है. यही कारण है कि दिग्विजय सिंह शहर की राजनीति में अपना प्रभाव बनाना जरूरी समझते हैं. इसलिए शहर कांग्रेस में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनवाने के पीछे उनकी मंशा अपने लोगों को सेट करने की है, जिससे शहर की राजनीति उनके इर्द गिर्द ही रहे. हालांकि वो इसके पीछे पार्टी की मजबूती का तर्क दे रहे  हैं. लेकिन असल लड़ाई वर्चस्व की है.

कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के बीच राजनैतिक सरहद का विवाद – बीजेपी  
बीजेपी का कहना है ये कांग्रेस में गुटबाजी की अपनी परम्परा है जिसे वो निभा रही है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा का कहना है दिग्विजय सिंह का दखलंदाजी वाला स्वभाव बहुत पुराना है. वे इंदौर के गांधी भवन को गलवान घाटी समझ रहे हैं और यहां घुसपैठ कराने के लिए तैयार बैठे हैं. लेकिन अब देखना है ये होगा कि दिग्विजिय सिंह और  कमलनाथ की बीच जो राजनैतिक सरहद का विवाद चल रहा है इसमें दिग्विजय सिंह की सेना कितना अंदर घुस पाती है. वहीं कांग्रेस से पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हुए जल संसाधन मंत्री भी चुटकी ले रहे हैं.उनका कहना है मैं तो अब बीजेपी का कार्यकर्ता हूं. कांग्रेस में कौन शहर अध्यक्ष बने,कौन कार्यकारी अध्यक्ष बने इसका जबाव तो दिग्विजय सिंह ही दे सकते हैं. वे वरिष्ठ नेता है लेकिन वो पूछेंगे तो मैं उन्हें जरूर बताऊंगा.

स्थानीय नेताओं ने शुरू की लामबंदी 
इंदौर शहर कांग्रेस में दो कार्यकारी अध्यक्षों की सुगबुगाहट से स्थानीय नेताओं ने अपनी लामबंदी शुरू कर दी है. वे अपने आला नेताओं से मेल मुलाकात कर रहे हैं और राजधानी भोपाल के चक्कर भी लगा रहे हैं. इनमें युवा से लेकर वरिष्ठ नेता तक शामिल हैं. माना जा रहा है कि प्रदेश में उपचुनाव को देखते हुए कांग्रेस संगठन युवाओं को ज्यादा तरजीह देगा,लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि कमलनाथ कार्यकारी शहर अध्यक्षों की नियुक्ति का मामला किस तरह लेते हैं.

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