इन पवित्र भजनों से करें एकादशी का जागरण, पढ़ें 2 लोकगीत

1. ग्यारस माता से मिलन कैसे होय कि पांचों खिड़की बंद पड़ी।

 

पहली खिड़की खोलकर देखूं, कूड़ा-कचरा होय।

मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि झाड़ू-बुहारा करती चलूं। ग्यारस माता से…

 

दूजी खिड़की खोलकर देखूं, गंगा-जमुना बहे।

मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि स्नान करके चलूं। ग्यारस माता से…

 

तीजी खिड़की खोलकर देखूं, घोर अंधेरा होय।

मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि दीया तो लगाती चलूं। ग्यारस माता से…

 

चौथी खिड़की खोलकर देखूं, तुलसी क्यारा होय।

मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि जल तो चढ़ाती चलूं। ग्यारस माता से…

पांचवीं खिड़की खोलकर देखूं, सामू मंदिर होय।

मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि पूजा-पाठ करती चलूं। ग्यारस माता से…

 

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2. सुन अर्जुन गीता का ज्ञान ।।2।।

 

ग्यारस के दिन सिर जो धोवे, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन…

ग्यारस के दिन सिर जो धोवे, रीछड़ी के अवतार/ सुन अुर्जन…

 

ग्यारस के दिन चावल जो खावे, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन…

ग्यारस के दिन चावल जो खावे, कीड़ा के अवतार/ सुन अुर्जन…

ग्यारस के दिन पलंग पर जो सोवे, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन…

ग्यारस के दिन पलंग पर जो सोवे, अजगर के अवतार/ सुन अुर्जन…

 

ग्यारस के दिन सासू से लड़े, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन…

ग्यारस के दिन सासू से लड़े, बड़-बागल के अवतार/ सुन अुर्जन…

 

ग्यारस के दिन घर-घर जो जावे, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन…

ग्यारस के दिन घर-घर जो जावे, कुतिया के अववार/ सुन अुर्जन…

 

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