किसानों को पुराने भाव पर मिलेगी खाद

भाववृद्धि वापस : केद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने की घोषणा
हमारे प्रतिनिधि
गांधीनगर। फर्टिलाइजर्स की भाववृद्धि के बारे में सरकार की दखलंदाजी से यूटर्न लिया गया है। हाल ही में सहकारी क्षेत्र की इंडियन फर्टिलाइजर को.. (इफ्को) द्वारा खाद के भाव में भारी वृद्धि की घोषणा की गयी। कर्नाटक में खाद्य उत्पादन करती कंपनियों के बाद हाल ही में इफ्को द्वारा भी डीएपी, एनपी के सहित खादों में अनुमानित प्रति बैग 900 रु. की भारी वृद्धि की गयी थी। इस भाव वृद्धि का किसान संगठनों तथा विभिन्न संस्थाओं ने विरोध दर्ज किया। दूसरी तरफ सरकार द्वारा यह भाववृद्धि कंपनियों की तरफ से की गयी कहा गया। हालांकि खाद के भाववृद्धि सरकार के इशारे पर किए जाने की चौतरफा हवा उड़ी। इस संदर्भ में अब सरकार ने दखलंदाजी कर खाद की भाववृद्धि के मामले में यूटर्न लिया है। भाव वृद्धि फिलहाल तुरंत वापस लेने की केद्रीयमंत्री मनसुख मांडविया ने की है।
इसके पहले देश के सबसे बड़े खाद विक्रेता इफ्को द्वारा खाद के भाव में बड़ी वृद्धि की गयी। डीएपी के 50 किलो की थैली की कीमत में 48 प्र.. जितनी भारी वृद्धि की गयी। जो बैग 1200 रु. में मिलती थी वह बैग 1900 रु. की खरीदी करने की नौबत आयी। उल्लेखनीय है कि यूरिया के बाद देश में किसानों द्वारा सबसे अधिक डीएपी का उपयोग किया जाता है।
इफ्को द्वारा खाद के विभिन्न मिश्रण एनपीकेएस की अधिकतम बिक्री कीमत बढ़ाई गयी है। एनपीके 10:26:26 का भाव 1175 रु. से बढ़ाकर 1775 रु. किया गया था। तो 12:32:16 के लिए अब 1185 के बदले 1800 रु. खर्च करना पड़ता है। ऐसी ही स्थिति एनपी 20:20:13 मिश्रण वाले खाद का भाव 925 से बढ़ाकर 1350 किया गया। किसान संघ ने कहा कि किसानों के लिए वृद्धि कमर तोड़ देने वाली साबित होगी। 2022 में सरकार किसानों की आय दुगुना करना चाहती है, लेकिन यह निर्णय इसके विरुद्ध है। सरकार के समर्थन भाव पर भी मात्र 8 से 10 प्र.. किसान माल की खरीदी करते ø तो यह भाव वृद्धि उचित नहीं। इनपुट में होती भाव वृद्धि के सामने काफी अधिक है तो सरकार को भाव वृद्धि वापस लेना चाहिए।
इफ्को के प्रवक्ता के अनुसार गैर यूरिया खाद का भाव पहले से ही नियंत्रण मुक्त है। सहकारी निर्णय को कोई राजकीय दल या सरकार के साथ निस्बत नहीं है। भाव वृद्धि मुख्यत: अंतरराष्ट्रीय बाजार के अधिन है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार खाद के भाव में वृद्धि से मात्र किसानों को ही नहीं बल्कि आम जनता को भी मार पड़ी है।
दो दिन के विरोध को देखते हुए केद्र सरकार को इस मामले पर मंथन करने की जरूरत उत्पन्न हुई। केद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया के अनुसार खाद कंपनियों के साथ उच्च दर्जे की बैठक की गयी और लंबी चर्चा और हाल की परिस्थिति को देखते हुए डीएपी, एनपीके सहित खाद में की गयी भाव वृद्धि को वापस लेने का निर्णय किया गया।

 

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