कैप्टन ने कहा पिछले पहियों के जाम होने से बने विमान पलटने के हालात; मेंटेनेंस की कमी भी हो सकती है कारण

 

भोपाल एयरफोर्स के तेज रफ्तार विमानों के उतरने के लिहाज से बने रनवे पर सामान्य जहाज के उतरने के दौरान कई सावधानियां रखना होती हैं। उसमें होने वाली छोटी सी चूक भी बड़े हादसे की वजह बन सकती है। गुरुवार रात स्टेट हैंगर प्लेन के साथ भी ऐसी ही स्थिति बनी होगी। विमान के पिछले पहियों के जाम होने की वजह से इसके पलटने जैसी हालत हुई है। मप्र सरकार के विमानन विभाग में चीफ पायलट रहे कैप्टन अनंत सेठी कहते हैं एयरफोर्स के रनवे और सामान्य हवाई पट्टी में काफी अंतर होता है। इन दोनों स्थानों पर उतरने वाली फ्लाइट की रफ्तार में भी काफी फर्क होता है। कैप्टन सेठी कहते हैं कि रफ्तार की इस घट बढ़ में होने वाली चूक ही किसी हादसे की वजह बनती है। गुरुवार को हुए हादसे की वजह इसके पिछले पहियों के जाम हो जाना हो सकता है। मेंटेनेंस की कमी भी इसका कारण मानी जा सकती है।

तब हादसा होते बच गया था

कैप्टन सेठी बताते हैं ग्वालियर एयरपोर्ट पर इससे पहले भी एक बड़ा हादसा होने से टल गया था। सरकारी विमान में तत्कालीन राज्यपाल स्व रामनरेश यादव और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद थे। कैप्टन सेठी चीफ पायलट के रूप में मौजूद थे। राष्ट्रपति के मुख्य आतिथ्य वाली सभा के लिए पहुंचे मेहमानों को लेकर ग्वालियर एयरपोर्ट पर फ्लाइट उतरने ही वाली थी। इसी दौरान हवाई पट्टी पर तेजी से एयरफोर्स की एक जीप आ गई। पायलट ने तत्काल निर्णय लेते हुए विमान को एक बार फिर गति देकर रनवे से उड़ा दिया। कैप्टन सेठी कहते हैं कि अगर उस समय तत्काल विमान न उड़ाया जाता तो विमान बड़ी दुर्घटना का शिकार हो सकता था।

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मेंटेनेंस की चूक का नतीजा

करीब एक सप्ताह तक मेंटेनेंस के लिए खड़े रहे विमान में तकनीकी कमियां रह जाना विभाग की लचर व्यवस्था का परिणाम माना जाएगा। जानकारी के मुताबिक नियमित जांच और सुधार के दौरान विमान की छोटी बड़ी सभी त्रुटियों को चेक किया जाता है। लेकिन इस दौरान कमियों का बाकी रह जाना कभी किसी बड़े हादसे की वजह बन सकता है।

फिर किराए के प्लेन के भरोसे सरकार और व्यवस्था

महामारी के इस दौर में सरकारी विमान कई बड़े और जरूरी काम निपटा रहा है। ऐसे समय में इसके दुर्घटना ग्रस्त हो जाने से यातायात और परिवहन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस स्थिति में विकल्प के तौर पर विमान किराए पर लेने की मजबूरी सरकार के सामने बन गई है। इससे पहले विमान के मेंटेनेंस के दौरान भी राज्य सरकार को दमन और जयपुर से निजी एयरलाइंस से किराए के विमान बुलाना पड़े थे। आम दिनों में लगने वाला करीब 3 लाख रुपए प्रति घंटा किराया भी फिलहाल दोगुने दाम पर भी मुश्किल से मिल पा रहा है।

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