जाधव केस: सच्चाई मानने को तैयार नहीं पाक, सरताज अजीज बोले- ICJ में अभी हारे नहीं

इस्लामाबाद
कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान यह मानने को तैयार नहीं कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में उसकी हार हुई है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने शनिवार को कहा कि यह कहना गलत है कि पाकिस्तान ICJ में हार गया। उन्होंने कहा कि अदालत ने फांसी की सजा पर रोक लगाई है, जाधव को कॉन्सलर ऐक्सेस देने का आदेश नहीं दिया है।

अजीज ने कहा कि पिछली बार समय की कमी थी लेकिन अगली बार वह अपनी लीगल टीम को मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि ICJ ने इस केस की मेरिट या जूरिस्डिक्शन को लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया है। अजीज ने कहा, 'ICJ ने सिर्फ अंतिम फैसला सुनाए जाने तक जाधव को फांसी देने पर रोक लगाया है।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास तैयारी के लिए सिर्फ 5 दिन थे और खावेर कुरैशी को भेजने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था।

दरअसल इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने जब से जाधव की फांसी पर रोक का फैसला किया है तब से इस मुद्दे पर पाकिस्तान का स्टैंड लगातार बदल रहा है। शुरू-शुरू में तो पाकिस्तान ने ICJ के फैसले को खारिज करते हुए उसे मानने से ही इनकार कर दिया लेकिन बाद में उसने अपनी कानूनी टीम को मजबूत करने की बात कही। ज्यादातर पाकिस्तानी अखबारों ने भी अपने संपादकीय में लिखा है कि पाकिस्तान के लिए ICJ का फैसला बाध्यकारी है और जो भी फैसला आए, उसे स्वीकार करना होगा।

ऐसी रिपोर्ट्स भी हैं कि पाकिस्तान सरकार ने ICJ में पुनर्विचार याचिका दायर कर कोर्ट से 6 हफ्ते में सुनवाई की मांग की है। पाकिस्तानी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रेशन मामलों के अनुभवी एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि विदेश विभाग के लीगल विंग में बड़ा बदलाव समय की जरूरत है। विदेश विभाग के अधिकारी जाधव मामले में उचित सलाह देने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अगर भारत कश्मीर मसले पर ICJ के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दे सकता है तो पाकिस्तान भी अपने मामले में यही तरीका अपना सकता था।'

जाधव मामले में ICJ में पाकिस्तान की तरफ से पैरवी करने वाले वकील खावेर कुरैशी विदेश विभाग की पसंद थे। पाकिस्तान के अटर्नी जनरल के कार्यालय ने कुरैशी की जगह किसी दूसरे वकील का नाम सुझाया था। कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि कुरैशी ने दो गलतियां कीं। उन्होंने सुनवाई से पहले ऐड हॉक जज नॉमिनेट नहीं किया और उन्होंने भारतीय वकील के 2008 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई राजनयिक पहुंच से संबंधित समझौते के जिक्र का सही तरीके से बचाव नहीं किया।

काबिले गौर है कि पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को कथित जासूसी के जुर्म में मौत की सजा सुनाई है। पाकिस्तान का दावा है कि उसने जाधव को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया है। जबकि भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया और उनसे जबरन जासूसी की बात कबूलवाई गई। जाधव पूर्व नौसेना अधिकारी हैं। भारत का आरोप है कि इस मामले में पाकिस्तान ने विएना समझौते का उल्लंघन किया। भारत के बार-बार अनुरोध के बाद भी उसे जाधव तक राजनयिक पहुंच नहीं दी गई। ICJ में भी भारत ने इन दलीलों को पुरजोर तरीके से उठाया और कोर्ट ने भी माना कि भारत को कॉन्सलर ऐक्सेस मिलना चाहिए।

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