जानिए क्यों, यह देश अब तक असली आजादी के लिए तरस रहा है

नई दिल्ली: अपने तानाशाह शासक के साथ संघर्ष में जूझ रहा उत्तर अफ्रीकी देश अल्जीरिया पिछले काफी सालों से हिंसा के दौर से गुजर रहा है. अल्जीरिया कभी अफ्रीका और यूरोप के बीच रास्ता माना जाता था. आज अल्जीरिया एक स्थाई और जनप्रिय शासन व्यवस्था के लिए संघर्षरत है. यहां के राष्ट्रपति अब्देलअजीज बुतेफ्लिका ने यहां के लोगों को गृह युद्ध से निजात जरूर दिलाई लेकिन यह देश अब भी मजूबत, लोकतांत्रिक राज व्यवस्था के लिए तरस रहा है. अल्जीरिया का इतिहास इस बात का गवाह है कि यहां लोगों को लंबे समय से संघर्ष और हिंसा के दौर देखते रहने पड़े. 

भौगोलिक स्थिति बनाती है अल्जीरिया को खास
अल्जीरिया क्षेत्रफल के लिहाज से अफ्रीका का सबसे बड़ा देश है जो 24 लाख वर्ग किलोमीटर (919,595 वर्ग मील) में फैला है. उत्तर में भूमध्य सागर उत्तर पूर्व में ट्यूनीशिया, पूर्व में लीबिया, पश्चिम में मोरक्को, दक्षिण पश्चिम में पश्चिम सहारा, मॉरिटियाना एवं माली, और दक्षिण पूर्व में नाइजर से घिरा है. इस देश का ज्यादातर हिस्सा सहारा मरुस्थल का भाग है. इसके अलावा उत्तर में भूमध्यसागर के तट से लगी निम्नभूमि की पतली पट्टी है. जिसके दक्षिण में एटलस पर्वत श्रृंखला है. इसी के दक्षिणी ढाल के बाद सहारा मरुस्थल के इलाका है. एटलस की दो पर्वत श्रेणियां उत्तर में टेल एटलस और उसके दक्षिण सहारा एटलस हैं. दोनों के बीच स्थित बर्बर उच्चभूमि में बहुत से नमक के तालाब हैं. देश की ज्यादातर (90%) जनसंख्या उत्तर की तटीय क्षेत्रों में रहती है जबकि काफी कम जनसंख्या दक्षिण में गर्म सहारा मरुस्थल में रहती है. 
अल्जीरिया को उसके भौगोलिक हालात अलग अलग तरह की जलवायु देते हैं. उत्तर में तटीय क्षेत्रों में भूमध्यसागरीय जलवायु मिलती है जहां सर्दियों में बारिश होती है. वहीं दक्षिण में सहारा रेगिस्तान भी एक सा नहीं है. उत्तरी भाग रेतीला है तो मध्य भाग में उच्च बहुत ही गर्म पठार है. 

संक्षिप्त इतिहास
पुरातन काल से ही अफ्रीका के मानव भूमि होने के नाते अल्जीरिया में भी पूर्व मानव और मानव पूर्व दोनों के अवशेष पाए गए हैं. एटलस के दक्षिणी हिस्सों की गुफाओं में रॉक पेंटिंग्स मिली हैं. उत्तर के एटलस पर्वतों ने अल्जीरिया और अफ्रीका के लिए यूरोप से एक तरह की ढाल का काम किया. प्राचीन समय में यहां के लोगों को  नुमीडियन कहा जाता था जो बाद में बर्बर कहे जाने लगे. 7वीं से तीसरी ईसापूर्व सदी तक यह कार्थेज और बीच में फिनिशिया साम्राज्य के अधीन रही. 7वीं ईसवी तक रोमान साम्राज्य का यहां प्रभाव रहा. 7वीं ईस्वी में जब उम्मेद खिलाफत ने यहां हमला किया तब बहुत से लोगों ने इस्लाम कबूल किया जिसके बाद यहां कई छोटे राज्यों ने जन्म लिया.

फ्रांस का प्रभुत्व 
16वीं सदी में स्पेन ने कुछ समय के लिए अल्जीरिया के उत्तरी भाग पर अपने कुछ सैन्य ठिकाने बनाए इसका उन्हें फायदा नहीं मिल पाया. फिर यह क्षेत्र ओटोमन साम्राज्य के अधीन रहा. 19वीं सदी में फ्रांस के हमले के बाद अल्जीरिया पर फ्रांस का कब्जा हो गया. इस दौरान लड़ाई और महामारी की वजह से करीब एक तिहाई जनसंख्या कम हो गई. 1875 तक करीब 8 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे. 20वीं सदी में हुए दोनों विश्व युद्ध में हार का मुंह देखने के बाद भी फ्रांस से अल्जीरिया नहीं छूटा और 1954 से 1962 तक चले स्वतंत्रता संग्राम के बाद 1962 में ही अल्जीरिया को आजादी मिल सकी और अहमद बेन बेला के नेतृत्व में समाजवादी, एक दलीय राष्ट्रपति शासन शुरू हुआ.
आजादी के बाद आया नया दौर 
1965 तक अल्जीरिया से करीब 9 करोड़ यूरोपीय प्रवासियों को स्थानीय हिंसा के कारण अल्जीरिया से पलायन करना पड़ा. इस दौरान अल्जीरिया और मोरक्को के बीच युद्ध भी हुआ. 1965 में सत्ता परिवर्तन के बाद होअरी बूमेदियान के शासनकाल में देश ने समाजवादी आर्थिक उन्नति की. 1976 में अल्जीरिया का मोरक्को से पश्चिमी सहारा के लिए युद्ध भी हुआ. 1978 से चाद्ली बेंजेदिद के शासन में अरबी इस्लाम का प्रभाव बढ़ा और देश में पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ा. 1989 बेंजेदिद ने बहुदलीय प्रणाली की शुरुआत की. 

गृह युद्ध का दौर 
1990 के दशक में अल्जीरिया में इस्लामी उग्रवाद का वर्चस्व रहा और देश एक गृह युद्ध में उलझ गया. इसके बाद 1999 के चुनावों में अब्देलअजीज बुतेफ्लिका देश के राष्ट्रपति बने. वहीं दुनिया के लोगों ने इसे निष्पक्ष चुनाव नहीं माना. इसके बाद देश में कई उग्रवादियों को मिली आम माफी के बाद राजनैतिक स्थायित्व तो आ गया, लेकिन उग्रवाद पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ. 2008 तक राष्ट्रपति रहे अब्देलअजीज बुतेफ्लिका ने देश के संविधान में बदलाव किया और वे एक तीसरी बार देश के राष्ट्रपति बन गए. 
क्या हो गए हैं आज के हालात
2009 से बुतेफ्लिका के खिलाफ विरोध बढ़ गया जो अभी तक जारी है. इस बीच 2011 में राष्ट्रपति ने इंमेरजेंसी हटाली और मीडिया पर से प्रतिबंध भी हटा लिया. इसके बाद 2014 में बुतेफ्लिका एक बार फिर देश के राष्ट्रपति चुने गए. बोतफ्लिक ने 2019 में भी इच्छा जताई कि वे फिर से चुनाव लड़ना चाहते हैं जिसके बाद देश में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया.  इस बीच खबरें आईं हैं कि राष्ट्रपति अब अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे. स्थानीय लोगों का मानना है कि इससे स्थिति नहीं सुधरेगी. बीमार चल रहे बुतेफ्लिका के बारे में लोगों का मानना है कि वे अब वास्तविक सत्ता में नहीं हैं. उसके नाम पर कुछ व्यवसायी, नेता और सैन्य अफसर शासन चला रहे हैं जिन्हें ली पॉवोइर (द पावर) कहा जाता है. ये लोग सत्ता पर प्रभाव अपने हाथों से जाने देना नहीं चाहते.
आर्थिक स्थिति
पहले समाजवादी अर्थव्यवस्था की वजह से अल्जीरिया 1970 के दशक तक एक कृषि प्रधान देश रहा. यहां के प्रमुख कृषि उत्पाद गेंहू, चावल, जई, ओट्स अंगूर, जैतून, रसीले फल, आदि हैं. इसके बाद उसकी अर्थव्यवस्था पूंजीवादी प्राकृतिक तेल आधारित हो गई. यहां के प्रमुख उद्योगों में पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, उत्खनन, खाद्य प्रसंस्करण शामिल हैं. उत्तरी तटीय क्षेत्र में राजधानी अल्जीरियर्स स्थित है जो सबसे बड़ा शहर है. यहां कि आधिकारिक भाषा अरबी, फ्रेंच और बर्बर है अल्जीरियाई दीनार यहां की मुद्रा है. 1990 के दशक से अराजकता हावी होना शुरू हुई. हिंसा भले ही आज के अल्जीरिया में हावी न हो, लेकिन लोगों को जनहित शासन व्यवस्था की आज भी दरकार है. 
 

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