डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, कैबिनेट में नेहरू और गांधी समेत 33 मंत्री शामिल

चेन्नई डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने स्टालिन को शपथ दिलाई। स्टालिन के साथ 33 मंत्रियों ने भी शपथ ली। स्लाटिन कैबिनेट में 19 पूर्व मंत्री और 15 नए चेहरे शामिल हैं। 2 महिलाओं को भी जगह दी गई है। इस मंत्रिमंडल दो नाम और हैं, जिन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसमें पहला नाम गांधी और दूसरा नाम नेहरू का है।

जी हां, लेकिन यह गांधी नेहरू वो नहीं हैं, जो आप समझ रहे हैं। केएन नेहरू डीएमके के पुराने नेता है। तिरूची वेस्ट सीट से 1989 में पहली बार चुनाव लड़े थे, तब से अबतक जीतते आ रहे हैं। उनके पिता ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर उनका नाम रखा था। वहीं, आर गांधी नाम के विधायक रानीपेट से चुने गए हैं। वह 1996 में पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। तब से लगातार इस सीट से जीत रहे हैं।

तमिलनाडु में 10 साल बाद डीएमके की वापसी

केंद्र सरकार से नाराजगी और एंटी इनकंबेंसी को भुनाकर तमिलनाडु में 10 साल बाद फिर डीएमके की वापसी हुई है। भाजपा से गठबंधन कर ईपीएस को भले चार साल सरकार चलाने में मदद मिली, लेकिन चुनाव में यही उनके खिलाफ गया। अल्पसंख्यक मतदाताओं ने उनसे दूरी बनाई। विपक्षी दलों ने ईपीएस को केंद्र की रिमोट कंट्रोल सरकार साबित कर भाजपा के प्रति नाराजगी को भुनाया।

तमिलनाडु में कई दशकों बाद पहली बार करुणानिधि और जयललिता की गैरमौजूदगी में चुनाव हुए। ऐसे में DMK के इस प्रदर्शन से स्टालिन इन दो दिग्गजों के बाद राज्य के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित हो जाएंगे। करुणानिधि और जयललिता दोनों ही राजनीति के साथ फिल्मों के भी सितारे रहे थे। ऐसे में स्टालिन को द्रविड़ राजनीति का पहला गैर फिल्मी हीरो माना जा रहा है।

तमिलनाडु में स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके और उसके सहयोगियों ने 234 में से 159 सीटें जीती हैं। इनमें से 133 डीएमके की हैं। यहां बहुमत का आंकड़ा 118 है। यानी डीएमके सहयोगियों के दबाव में कम ही रहेगी। उसकी सहयोगी कांग्रेस को 15 सीटें मिली हैं। दूसरी ओर आपसी खींचतान की वजह से अन्नाद्रमुक 78 सीटों पर सिमट गई। तमिलनाडु समेत 5 राज्यों के चुनाव नतीजे 2 मई को आए थे।

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