ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में फार्म भरने का झंझट खत्म, जाने नए नियम

केंद्र सरकार ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनाने की जटिला को समाप्त करने के लिए मोटर वाहन अधिनियम में बदलाव करने जा रही है। नया कानून लर्निग डीएल, नया डीएल, डीएल नवीनीकरण आदि से लोगों अलग-अलग फार्म (प्रपत्र) भरने के झंझट से मुक्ति दिलाएगा। 

वहीं, आवेदनकर्ता को डीएल बनवाने के लिए आधार कार्ड देना होगा। इससे देशभर में फर्जी डीएल बनाने के सिलसिले पर अंकुश लगेगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में राज्यों के क्षेत्रीय परिवहन कार्यायलों (आरटीओ) में लर्निग डीएल बनाया जाता है। 

एक निश्चित अवधि के बाद स्थायी डीएल पाने के लिए आवेदनकर्ता को नया फार्म भरना पड़ता है। इसी प्रकार डीएल के नवीनीकरण, मोटरसाइकिल-स्कूटर से कार का लाइसेंस बनाना, पता बदलने, डीएल में नाम बदलने, डुप्लीकेट डीएल बनाने के लिए हर बार फार्म भरना पड़ता है। उन्होंने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम 1989 में बदलाव किया जा रहा है।

डीएल बनवाने के नए रूल्स-

नए कानून में अधिनियम के रूल 10,14 (1), 17 (1) व 18 को समाप्त कर दिया जाएगा। इसके स्थान पर नया फार्म -2 लागू होगा। उपरोक्त तमाम कार्यो के लिए आवेदनकर्ता को सिर्फ उक्त फार्म 2 भरना होगा। इस नए फार्म में नए कॉलम हैं। इसमें आवेदनकर्ता को अपना आधार कार्ड नंबर, ईमेल, मोबाइल नंबर लिखना होगा। 

पहली बार डीएल बनवाने वाले व्यक्ति के लिए सड़क हादसे में मृत्यु होने पर अंगदान करने की घोषणा करने का विकल्प होगा। इस कॉलम में हां अथवा नहीं का विकल्प होगा। वर्तमान में यह व्यवस्था नहीं है। उन्होंने बताया कि मंत्रलय ने संबंधित पक्षों से सुझाव-शिकायतों के लिए मसौदा संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके पश्चत नया कानून लागू कर दिया जाएगा।

देश में 30 फीसदी फर्जी
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सार्वजनिक सभाओं में कई बार कह चुके हैं कि क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों में गड़बड़ी के चलते देश में 30 फीसदी लोग फर्जी डीएल का इस्तेमाल कर रहे हैं। केंद्र सरकार देशभर के आरटीओ को कंप्यूटरीकृत के जरिए ऑनलाइन जोड़ रही है। डीएल सहित वाहनों से जुड़े तमाम दस्तावेज मोबाइल एप पर उपलब्ध होंगे।

विशेषज्ञों ने अच्छी पहल माना
परिवहन क्षेत्र के विशेषज्ञ अनिल चिकारा ने कहा कि सरकार की यह पहल अच्छी है। इससे लोगों को काफी राहत मिलेगी। आधार कार्ड को जोड़ने से व्यवसायिक वाहनों का डीएल बनवाने में आसानी होगी। फर्जी डीएल बनाने का धंधा करने वाले दलालों पर नकेल सकेगी। वहीं, सड़क हादसों में हिट एंड रन केस करने वालों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा।

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