तालिबान पर बनी चीन-पाक-रूस की तिकड़ी , दांव पर भारत-रूस की दोस्ती
बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के तौर पर रूस और यूएन की प्रतिबंध वाली सूची से अफगान तालिबान का नाम हटवाने पर नरम रुख फिर से दोहराते हैं। काबुल और तालिबान के बीच शांतिपूर्ण वार्ता स्थापित करने में इन लोगों की भूमिका के मद्देनजर उन्हें यून की प्रतिबंधित सूची से हटाए जाने पर विचार किया गया है।'
एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में रूस के विश्लेषक नंदन उन्नीकृष्णन ने कहा, "भारत और रूस के बीच वर्तमान में बातचीत बहुत कम हो गई है। ऐसे में रूस का ये रुख संबंधों को और बिगाड़ सकता है।" भारत हाल ही में रूस से लगभग 6 खरब रुपयों की खरीद रक्षा सौदे में करने का ऐलान किया था। इसके बावजूद रूस के साथ उसके संबंधों में सुधार आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से भारत की परेशानी और बढ़ सकती है। क्योंकि, एक तरफ भारत को इस बैठक से दूर रखा गया तो दूसरी तरफ भारत शुरू से लेकर अबतक तालिबान को अफगानिस्तान में सबसे बड़ा खतरा मानता आया है। भारत के अलावा अफगान सरकार और अमेरिका भी तालिबान को इसी तरह देखते हैं।
चीन-पाकिस्तान-रूस की तिकड़ी मजबूत होती जा रही है। ऐसे में भारत को चौतरफा मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है । वैसे भी रूस की पाकिस्तान से बढ़ रही नजदीकियां भारत के लिए पहले से मुश्किलें खड़ी कर रहा है। फिर अगर ट्रंप अपने वादे के मुताबिक चीन की नकेल कसने में लगे तो दक्षिण चीन महासागर में दोनों देशों के बीच तकरार बढ़ेगा। फिर अमेरिका चीन को सबक सिखाने के लिए भारत की समुद्री सीमा का उपयोग करना चाहेगा। ऐसे में भारत और चीन की तनातनी बढ़ेगी।