दागी सांसदों/विधायकों के लिए विशेष कोर्ट गठित करने पर केंद्र से SC नाराज, कहा-‘तैयारी है अधूरी’

नई दिल्ली : दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित अपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाए जाने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट जवाब न देने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा कि सरकार की तैयारी अधूरी है, ऐसे में सरकार स्पष्ट जानकारी के साथ फिर हलफनामा दाखिल करे. कोर्ट ने कहा है कि मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी. 

अगली सुनवाई में सरकार को देना होगा ब्यौरा

अगली सुनवाई में सरकार को तमाम ब्यौरा देना होगा. दरअसल, केंद्र सरकार को बताना था कि कितने विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट बने हैं? और सांसदों और विधायकों के कितने केस फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर किए गए,इसके अलावा केंद्र सरकार को सांसदों और विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड की भी जनकारी देनी थी.

केंद्र सरकार को मिली 12 स्पेशल कोर्ट बनाने की इजाजत

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसदों, विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई के लिए 12 स्पेशल कोर्ट के लिए केंद्र सरकार की योजना को मंजूरी दे दी थी.स्पेशल कोर्ट के गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 7.80 करोड़ रुपए राज्यों को रिलीज करने को कहा था, ताकि अदालतों का गठन हो सके. कोर्ट ने एक मार्च तक विशेष अदालत के गठित करने और उनके काम शुरू करने का आदेश सुनाया था.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बीजेपी प्रवक्ता अश्वनी उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें दागी सांसदों और विधायकों के अपराधिक मामले की तेजी से निपटारे के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने की मांग की गई है.इससे पहले लंबे समय से दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के जल्द निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन की मांग की जा रही थी.केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि इस वक्त 1581 सांसद व विधायकों पर करीब 13500 आपराधिक मामले लंबित है और इन मामलों के निपटारे के लिए एक साल के लिए 12 विशेष अदालतों का गठन होगा। इसके लिए 7.80 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. वित्त मंत्रालय इसके लिए 8 दिसंबर को मंजूरी भी दे चुका है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की इस अपील को मंजूरी दे दी थी.


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