बौछारें पड़ने के आसार, दो दिन बाद बढ़ेगी ठंड

भोपाल कम दबाव के क्षेत्र के असर से मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में पिछले तीन दिनों तक बारिश होती रही। वर्तमान में कम दबाव का क्षेत्र कमजोर पड़ने के बाद हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बन गया है। यह सिस्टम पश्चिमी उत्तरप्रदेश में सक्रिय है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक इस सिस्टम के प्रभाव से मंगलवार को उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के जिलों में बौछारें पड़ने की संभावना है। अगले चौबीस घंटों के दौरान रीवा संभाग के जिलों में कहींकहीं गरजचमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। उधर अब वातावरण से धीरेधीरे नमी कम होने से रात के तापमान में कमी भी दर्ज होने लगेगी।

मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी पीके साहा ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान मंगलवार सुबह साढ़े आठ बजे तक नौगांव में 68.8, जबलपुर में 39.4, सागर में 33.4, खजुराहो में 33, सतना में 14.8, उमरिया में 12.4, मलाजखंड में 8.4, टीकमगढ़ में छह, रीवा में 5.2, शाजापुर में पांच, ग्वालियर में 3.9, छिंदवाड़ा में 2.4, रायसेन में 2.4, दमोह में एक, भोपाल में 0.4 मिलीमीटर बारिश हुई।

मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि सोमवार को मप्र के मध्य में सक्रिय कम दबाव के क्षेत्र के प्रभाव से प्रदेश के अधिकांश जिलों में रुकरुक कर बौछारें पड़ीं। यह सिस्टम कमजोर पड़ने के बाद हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात के रूप में तब्दील हो गया है। साथ ही पश्चिमी उत्तरप्रदेश की तरफ चला गया है। इस वजह से मध्यप्रदेश में बारिश की गतिविधियों में कमी गई है। इस चक्रवात के असर से मंगलवारबुधवार को मप्र के उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे जिलों में कहींकहीं गरजचमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है। शेष जिलों में मौसम अब धीरेधीरे साफ होने लगेगा। बादल छंटने और हवाओं का रुख उत्तरी होने की वजह से अब रात के तापमान में गिरावट भी दर्ज होने लगेगी। उधर पश्चिमी विक्षोभ की मौजूदगी के कारण उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी होने लगी है। इस वजह से दो दिन बाद मध्यप्रदेश में न्यूनतम तापमान में काफी गिरावट आने के आसार हैं।

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