भारत ने दिखाया बड़ा दिल, 11 पाकिस्तानी कैदियों को करेगा रिहा

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच अस्ताना में अनौपचारिक मुलाकात के बाद ने 11 पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करने का फैसला लिया है। सोमवार को इन सभी कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा। अधिकारियों ने इस कदम को गुडविल जेस्चर करार दिया, वहीं पाकिस्तान का कहना है कि इन सभी कैदियों ने अपनी सजा पूरी कर ली है इसीलिए भारत उन्हें रिहा कर रहा है।

इस साल अप्रैल में पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट द्वारा भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत सरकार का इस तरह का यह पहला फैसला है। कजाकिस्तान की राजधानी अस्थाना में हुए शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के पीएम के बीच हुई मुलाकात के बाद कैदियों की रिहाई का फैसला अहम माना जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक चूंकि पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की ओपन हार्ट सर्जरी के बाद दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात थी, ऐसे में मोदी ने नवाज से उनकी सेहत के बारे में पूछा था, साथ ही उनकी मां और परिवार का हालचाल भी जाना था।

भारत ने बीते सप्ताह ही गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पंजाब में घुस आए दो बच्चों को वापस पाकिस्तान को सौंप दिया था। यह दोनों बच्चे अली रेजा (11) और बाबर (10) अपने चाचा मोहम्मद शहजाद के साथ सीमा पार कर भारत में घुस आए थे। भारत ने हालांकि शहजाद को अभी अपनी हिरासत में ही रखा हुआ है। इन दोनों बच्चों को अप्रैल में ही रिहा किया जाना था लेकिन पाकिस्तान द्वारा जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारतीय अधिकारियों ने उनकी वापसी रोक दी थी।

भारतीय अधिकारियों ने कहा कि कैदियों की रिहाई मानवीय मुद्दा है और इसे जाधव के मामले पर पाकिस्तान को लेकर भारत के रुख में बदलाव के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। सरकार को उम्मीद है कि पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय कैदियों को भी वहां की सरकार रिहा कर देगी। सरकार के मुताबिक मौजूदा समय में पाकिस्तान के जेलों में 132 भारतीय कैदी बंद हैं, जिनमें से 57 ने अपनी सजा पहले ही पूरी कर ली है। इस मामले पर पाकिस्तान का कहना है कि भारत पहले उनकी नागरिकता सुनिश्चित करे तभी उन्हें रिहा किया जाएगा।

पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई का भारत का फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देश कुलभूषण जाधव मामले पर इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ)में आमने-सामने हैं। इस मामले में अदालत ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर कोई फैसला आने तक रोक लगाने का आदेश दिया था।

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