भोजली हमारी संस्कृति का प्रतीक, इसे बचाकर रखना हम सभी का कर्तव्य :  अटल श्रीवास्तव 

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार आभास हो रहा है कि छत्तीसगढिय़ा सरकार बनी है, हरेली, तीजा, विश्व आदिवासी दिवस, कर्मा जयंती जैसे छत्तीसगढ़ीया त्योहारों में छुट्टी प्रदान की जा रही है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जो कि किसान पुत्र एवं माटी पुत्र हैं, उन्होंने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, विरासत को संजोने का कार्य किया है, छत्तीसगढ़ सरकार के नारे ‘नरवा, घुरवा, गरवा, बारी में’ छत्तीसगढ़ की संस्कृति झलक रही है। उक्त बातें भोजली महोत्सव समिति भोजली पर्व में आयोजित पुरस्कार समारोह के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित अटल श्रीवास्तव ने कही। उन्होंने कहा कि आज भोजली के अवसर पर मैं यही निवेदन करूंगा कि मितान बनने की परम्परा भोजली के दिन से प्रारम्भ होती है, तो हम सब सरकार में छत्तीसगढिय़ां को बैठाएं और सभी वर्ग के लोगों को मितान बनाएं। अटल श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि भोजली का वैज्ञानिक महत्व है, किसान जान जाता था कि जल स्त्रोत कैसे है, बरसात कैसी होगी, यह सब सावन की सप्तमी से सावन की पूर्णिमा तक भोजली माता का आशीर्वाद प्राप्त होता था, पूर्णिमा रक्षाबंधन से दूसरे दिन तक सम्मान के साथ नदी में विसर्जित किया जाता है, भोजली को सहेजकर रखना ही हमारी परिचायक है। मुख्य अतिथि द्वारा महिलाओं को बालिकाओं को पुरस्कार वितरण किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि अभय नारायण राय, शहर महिला अध्यक्ष सीमा पाण्डेय, शहर महामंत्री देवेन्द्र सिंह बाटू, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ट प्रदेश महामंत्री दिनेश सीरिया, जनपद सदस्य गौरीशंकर यादव, जेठू साहू आदि उपस्थित थे।

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