मंगल कलश स्थापना के समय हुई वर्षा रूपी अमृत की वृष्टि 

भोपाल।  राजधानी के जैन मंदिरों में जैन संतों के चतुर्मास में ज्ञान की गंगा बह रही है। संतों के चतुर्मास मंगल कलश स्थापना के आयोजन जिनालयों में प्रारंभ हो गये हैं। इसी तारतम्य में श्री पार्श्वनाथ जिनालय अशोका गार्डन में में आचार्य आर्जव सागर महाराज का चतुर्मास मंगल कलश स्थापना भक्तिमय माहौल में सम्पन्न हुआ। मंत्रोच्चारित मंगल कलश स्थापना के समय देवों ने भी जल वृष्टि का भक्ति का इजहार किया। प्रारंभ में अशोका गार्डन जैन मंदिर पाठशाला की बालिकाओं द्वारा आचार्य विद्यासागर महाराज के गुणों की वंदना के साथ मंगलाचरण की प्रस्तुति की गई। समाज के श्रेष्ठिजनों द्वारा आचार्य श्री पाद प्राच्छालन किया गया। बाहर से आये श्रेष्ठिजनों द्वारा आचार्य श्री के करकमलों में शास्त्र भेंट किये गये। आयोजन के साक्षी राजधानी के साथ तमिलनाडु, सूरत, गुजरात, महाराष्ट्र, सागर, इंदौर, जबलपुर सहित अनेक शहरों के श्रद्धालु बने मंगल कलश स्थापना के समय श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास के साथ करतल ध्वनि करते हुए मंगलमय बेला का स्वागत किया। मंदिर समिति के अध्यक्ष सुनील जैन ने बताया चतुर्मास के मुख्य मंगल कलश स्थापित करने वाले परिवारों में प्रमुख रूप से प्रथम मंगल कलश आनन्द जैन, द्वितीय नरेन्द्र जैन, पवन जैन मिलन, तृतीय जितेन्द्र आकाश चक्रवर्ती, चतुर्थ जयदीप रानू दिवाकर, पंचम कन्छेदीलाल सिंघई आदि पुर्नजयाक परिवार हैं। 
आचार्य श्री आर्जव सागर महाराज ने आशीष वचन में कहा परिणामों की विशुद्धि ही मुक्ति का कारण है, विशुद्ध भावों से की गई साधना ही भव समुद्र पार उतारती है, भविष्य को सुधारना चाहते हो तो भावों को सुधारो, जैसी मती होती वैसी ही गति होगी। आचार्य श्री ने कहा जीवन उसका सुभावना है, जिसके हृदय में वक्रता का नामो निशान न हो। सर्प से एक बार रक्षा हो सकती है बार-बार नहीं, सरलता से ही सहज चैतन्य, आत्मसुख प्राप्त होगा। सरलता जीवन की अमर ज्योति है, जिसके पास यह होगी, उसकी यश पताकार स्वयमेव लहराएगी। इस अवसर पर प्रमुख रूप से विधायक विश्राम सारंग, कैलाश मिश्रा, प्रमोद हिमांशु, सुनील जैन ’मारसाब‘, संजय बन्टू, रानू दिवाकर, पवन जैन मिलन, विजय जैन, सुमत, रितेश चौधरी, सचिन पडरिया, राहुल, अंकित अनेक धर्मावलंबी मौजूद थे।  

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