मधुमेह को लेकर जागरुकता की कमी

भारत में डा‍यबिटीज (मधुमेह) को लेकर जागरुकता की कमी देखी गई है। मधुमेह एक ऐसा रोग है जो अंदर ही अंदर आपको खोखला कर देता है। इससे शरीर में कई गंभीर रोगों का भी खतरा रहता है। इसमें शरीर में बने घाव नहीं भरते और जान का भी खतरा बना रहता है। इसमें शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है और एक स्तर से आगे होने पर इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। 
इसके बाद भी शुगर नियं‍त्रण और इससे जुड़ी बीमारियों को लेकर लोगों की जानकारी बेहद कम है। इस मामले में कराये गए एक अध्‍ययन से पता चला है कि 40 फीसदी लोगों को शुगर के सामान्‍य स्‍तर का पता नहीं है। यही नहीं डायबिटीज के लिए हर तीन महीने में करवायी जाने वाली औचक जांच (एचबीएवनसी) के बारे में केवल दस फीसदी लोग ही जानते हैं। बीमारी की कम जानकारी की वजह से डायबिटीज के करीब 50 फीसदी मरीज दिल की बीमारी के करीब हैं।
डायबिटीज प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहे एक अध्‍ययन के अनुसार 30 से 40 साल की उम्र के 45 फसदी लोग डा‍यबिटीज से पहले की अवस्‍था यानी प्री डायबिटीज को गंभीरता से नहीं लेते हैं। यह वह स्थिति होती है जब साधारण जांच में शुगर का स्‍तर सामान्‍य से अधिक पाया जाता है।
शुगर नियंत्रण को लेकर लोग गंभीर नहीं रहते हैं। डायबिटीज प्रबंधन की जानकारी दस प्रतिशत मरीजों को भी नहीं है। यही कारण है कि डायबिटीज की पहचान होने के पांच से आठ साल के अंदर मरीजों को दिल की धमनियों की बीमारी हो जाती है।
अध्‍ययन में पाया गया कि वर्ष 2008 में डायबिटीज के लिए पंजीकृत 50 प्रतिशत मरीज दिल की बीमारी के करीब हैं। इनके खून में साधारण कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर अधिक देखा गया, जबकि 67 प्रतिशत को इस बात की जानकारी नहीं है कि डायबिटीज उनके शादीशुदा जीवन को भी प्रभावित करती है। 

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