मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में पत्रकार के साथ मारपीट,लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की हत्या का प्रयास

सीहोर! संपूर्ण भारत जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की चपेट में है ओर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार कोरोना योद्धाओं की तरह अपनी जान हथेली पर रखकर पत्रकारिता धर्म का निर्वाह कर रहे हैं । ऐसे विकट समय में जहां पुलिस और प्रशासन को पत्रकारों की सुरक्षा निश्चित करनी चाहिए वहाँ पत्रकारों पर प्रताड़ना के मामले सामने आ रहे हैं।
प्रदेश में शिवराज सरकार के आते ही मध्य प्रदेश में पत्रकार बिरादरी पर पुलिस प्रताड़ना , अत्याचारों के मामले दृष्टिगत हो रहे हैं जो कि चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में पत्रकार के साथ प्रताड़ना का मामला सामने आया है।जानकारी के मुताबिक एक दैनिक समाचार पत्र के ब्यूरो पवन विश्वकर्मा को एएसपी की मौजूदगी में पुलिस कर्मचारियों द्वारा मारपीट करने तत्पश्चात धारा 151 में जेल भेजने की घटना ने पुन : यह साबित कर दिया है शिवराज सरकार में पत्रकार समाज असुरक्षित महसूस करने लगा है। अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के राष्ट्रीय महामंत्री एंव प्रेस काउंसिल आफ वर्किंग जर्नलिस्ट की प्रबंध निदेशक सैयद ख़ालिद कैस ने मध्य प्रदेश में पत्रकारों के साथ हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री के गृह जिले में गत 9 मई को पत्रकार के साथ पुलिस द्वारा की गई मारपीट की घटना की तीखी निंदा की।अलीराजपुर जोबट में साथी पत्रकारों पर पुलिस द्वारा झूठा मुकदमा लगाने की घटना को अभी 10 दिन भी नहीं गुजरे थे कि सीहोर जिले से इस प्रकार की घटना प्रकाश में आना शिवराज सरकार की पत्रकार विरोधी व्यवहार को प्रमाण है।गौरतलब हो की 9 मई 2020 को दैनिक समाचार पत्र के जिला ब्यूरो पवन विश्वकर्मा द्वारा एक घटना की कवरेज की जा रही थी जिसमें 2 पक्षों की आपसी लड़ाई हुई थी । इस मामले में पुलिस द्वारा दोनों पक्षों को साथ ही पत्रकार को भी हिरासत में लिया गया वरन थाना प्रभारी की मौजूदगी में लात घूसों सहित बंदूक की बट से पत्रकार पवन विश्वकर्मा के साथ जमकर मारपीट की । यहां तक कि एसडीएम और एएसपी की मौजूदगी में भी पत्रकार पवन विश्वकर्मा के साथ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दुर्व्यवहार किया गया । उसको प्रताड़ित किया गया यहां तक के पत्रकार के विरुद्ध 151 का मुकदमा दर्ज कर एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया जहाँ से उसे जेल भेज दिया गया तथा अगले दिन 50 हजार रूपये के मुचलके पर पत्रकार पवन विश्वकर्मा को रिहा किया गया । इस पूरे घटनाक्रम में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की जिस तरह से हत्या का प्रयास किया गया है। अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति द्वारा इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए पुलिस महानिदेशक से दोषी पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को तत्काल निलंबित करने और पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।

रामबाबू वर्मा सीहोर!

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