रखें ध्यान अन्यथा जीवन में तो क्या मृत्यु के बाद भी शांति नहीं मिल सकती

प्रसिद्ध दार्शनिक कन्फ्यूशियस उपदेश दिया करते थे कि मानव को जीवन के हर विषय का अनुभव करना चाहिए। अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। निराशा को कभी पास नहीं फटकने देना चाहिए। अपना कुछ समय तथा धन दीन-दुखियों की सहायता में अवश्य लगाना चाहिए। एक दिन उनका एक शिष्य उनके पास पहुंचा। उसने कहा, च्च्महात्मन् मैं वर्षों से आपका सत्संग कर रहा हूं। आपके असंख्य उपदेश मैंने सुने हैं। फिर भी मेरा मन अशांत रहता है। मैं शांति कैसे प्राप्त करूं? कोई आजमाया हुआ उपाय बताइए?ज्ज्

संत ने पूछा, च्च्क्या तुम जीवन में आने वाले कष्टों का सामना करने का तरीका जान चुके हो।? क्या मेरे उपदेशों पर अमल कर चुके हो?

उसने उत्तर दिया, च्च्ऐसा नहीं हो पाया है। मैंने आनंद का जीवन जिया ही नहीं है। मैं तो सांसारिक साधनों को अपने से दूर रखता आया हूं।

संत कन्फ्यूशियस ने कहा, च्च्जिसने मानव जीवन पाकर भी कर्म नहीं किया, परिवार तथा समाज के प्रति अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया उसे इस जीवन में तो क्या, मृत्यु के बाद भी शांति नहीं मिल सकती। मनुष्य के सत्कर्म और उसका कर्तव्य पालन ही उसके मन को संतुष्टि प्रदान करते हैं। अत: शांति-शांति की सनक से दूर रहकर कर्म करते रहो। स्वत: शांति मिल जाएगी।ज्ज्

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