लहंगे का है खास महत्व

शादी ब्याह के दौरान पहने जाने वाले परिधानों में लहंगे का खास महत्व होता है। रंग-बिरंगे धागों की कारीगरी इसे और खास बना देती  है। इसमें जितनी घनी व खूबसूरत कढ़ाई होती है, उतना ही कीमती यह परिधान होता है। लहंगा शादी में पहनने के लिए खरीदना हो या किसी पार्टी या त्योहार में पहनने के लिए, इसका सही चयन करना बेहद ज़रूरी है।

इसमें खूबसूरती निखारने की जाने वाली एंब्रॉयडरी का चलन 15वीं शताब्दी में शुरू हुआ। उस दौर में यह विधा कपड़े की मरम्मत के लिए इस्तेमाल की जाती थी। धीरे-धीरे लोगों को समझ में आया कि धागों की मदद से कलात्मक एंब्रॉयडरी भी की जा सकती है। पर्शिया, भारत और यूरोपीय देशों में एंब्रॉयडरी को उच्च वर्ग के फैशन का अनिवार्य हिस्सा समझा जाता था। आम लोगों के पहनावे का हिस्सा यह कई सालों बाद बनी।

जरदोजी है सबसे पुरानी कला

लेजी-डेजी, क्रॉस स्टिच, थ्री-डी नॉट, चेन स्टिच आदि एंब्रॉयडरी के प्रमुख स्टिचेज़ हैं। जरदोजी बेहद पुरानी कला है पर आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। इसके तहत मटैलिक वायर्स से विशेष प्रकार की कढ़ाई की जाती है। कुंदन वर्क जैसी पारंपरिक एंब्रॉयडरी के साथ ही लेस एप्लीक व पर्ल वर्क जैसी कंटेंपरेरी एंब्रॉयडरी भी चलन में है।

मौके के हिसाब से करें चयन

एंब्रॉयडरी लहंगे के चयन का प्रमुख आधार है। अगर आप दुल्हन के लिए लहंगा खरीद रही हैं तो भारी एंब्रॉयडरी वाला एलीगेंट लहंगा चुनें। वहीं अगर किसी त्योहार पर पहनने के लिए लहंगा खरीदने जा रही हैं तो ब्ल्यू, येलो, ऑरेंज जैसे किसी ब्राइट कलर के धागों की एंब्रॉयडरी वाले परिधानों का चयन करें। रंग के चयन के समय अपने रंग और पर्सनैलिटी का भी ध्यान रखें।

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