वायरस ने स्वभाव बदला, इसी से बढ़े गंभीर मरीज और संदिग्ध मौतें

सर्दी-बुखार की बजाय निमोनिया का साइलेंट अटैक

भोपाल  । तेरह महीने के कोरोना काल में संक्रमण फैलने की यह सबसे तेज रफ्तार है। विशेषज्ञ इसकी प्रमुख वजह बता रहे हैं कि वायरस ने अपनी प्रकृति बदल दी है। बीमारी के लक्षण भी बदल जाने से लोग पहचान नहीं कर पा रहे हैं। वे गंभीर स्थिति में जांच व इलाज करवाने पहुंच रहे हैं। चिंता वाली बात यह कि मौतें भी लगातार हो रही हैं। कोरोना मरीजों के अलावा संदिग्ध मौतों का आंकड़ा तो बहुत ज्यादा ही है।

कांटेक्ट हिस्ट्री का पता नहीं चल रहा
अभी जितने भी पॉजिटिव केस आ रहे हैं वे एक क्षेत्र, मोहल्ला, गली, घर या गांव विशेष के नहीं हैं बल्कि ज्यादातर अलग-अलग जगह के ही रहवासी हैं। इससे साफ है कि वायरस स्थान विशेष में नहीं बल्कि कम्युनिटी में यहां-वहां सभी जगह फैला हुआ है। जो लोग अभी पॉजिटिव आ रहे हैं उनमें से अधिकांश की कांटेक्ट हिस्ट्री भी सामने नहीं आ पा रही है।

वायरस की प्रवृत्ति बदलने के साथ ही लक्षण भी बदल जाते हैं
वायरस अपने सर्वाइवल के लिए स्वयं में बदलाव करता है। अपनी प्रवृत्ति बदलता है। जब वह ऐसा करता है तो काफी हद तक उसके संपर्क में आने से व्यक्ति के शरीर के लक्षणों में भी बदलाव आता है। अभी सर्दी-खांसी, बुखार के बगैर भी कई लोग संक्रमित हो रहे हैं। इनमें निमोनिया व सांस लेने की तकलीफ हो रही है। जांच करवाते हैं तब पता चलता है कि कोरोना पॉजिटिव है। ऐसा इसलिए कि वायरस के प्रवृत्ति बदलने पर बीमारी के लक्षणों में आए बदलाव को वे पहचान नहीं पाए।

इन तर्क से समझें
निमोनिया होने पर व्यक्ति इसका इलाज करवाता है। बीमारी बढऩे पर उसे सांस लेने में दिक्कत शुरू हो जाती है। तब तक वह संक्रमण से घिर चुका होता है और जब जांच करवाने पहुंचता है तो उसे कोरोना पॉजिटिव होने की बात पता चलती है। ऐसे में गंभीर स्थिति में मौतें हो रही हैं। इस बीच वह कई को संक्रमित भी कर चुका होता है।

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