विमान हादसे पर पूर्व नौसेना प्रमुख ने कहा नेताओं व एचएएल की भी तय हो जवाबदेही 

नई दिल्ली । बेंगलुरु में एयर फोर्स के 'मिराज 2000' विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और भारतीय राजनेता दोनो निशाने पर आ गए हैं। पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश ने कहा कि इस मामले में सरकार और एचएएल की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। इससे पहले वायु सेना प्रमुख बीएस धनोवा ने भी एचएएल को निशाने पर लिया है। खुद नेवी जेट्स के पायलट रह चुके प्रकाश ने ट्वीट किया, 'सेना को दशकों पुराने निम्नतम गुणवत्ता के एचएएल विमानों को उड़ाना पड़ रहा है और अक्सर युवाओं को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।' प्रकाश ने लिखा, 'मिराज को सामान्य पायलट नहीं उड़ाते, ये एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग्स इस्टेबलिशमेंट्स (एएसटीई) टेस्ट पायलट होते हैं। इसमें उन्हें अडवांस्ड ट्रेनिंग मिली होती है। दशकों से सेना घटिया किस्म की एचएएल मशीनों को उड़ाती रही है और इसमें अक्सर युवाओं की बेशकीमती जानें जाती रही हैं, जिनका एचएएल प्रबंधन अनुमान भी नहीं लगा सकता।' 
पूर्व नौसेना प्रमुख ने कहा, 'एचएएल को लेकर विचार करना जरूरी है, लेकिन समय आ गया है, जब हम चुने हुए प्रतिनिधियों से भी सवाल करें। सन 1947 के बाद से देश में 35 रक्षा मंत्री हुए, लेकिन किसी ने भी एचएएल पर उंगली नहीं उठाई और सबकुछ यूं ही चलते रहने दिया।' ज्ञात हो इससे पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोवा ने भी एचएएल पर क्वालिटी को लेकर हमला बोला था। 
भाजपा एमपी राजीव चंद्रशेखर ने भी ट्वीट में कहा, 'अगर मारे गए पायलटों के परिजन एचएएल की जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग रखते हैं, तो मैं उनको कानूनी सहयोग प्रदान करूंगा। मेरे सूत्रों के मुताबिक, जो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, वह एचएएल से अपग्रेड होने के बावजूद अच्छी हालत में नहीं था। पता चला है कि उड़ान के दौरान ही उसका एक पहिया बाहर निकल आया था। विमान में लगी आग के चलते पायलटों के पैराशूटों में भी आग लग गई।' एयरफोर्स और एचएएल मिलकर मिराज 2000 लड़ाकू विमान के उन्नत संस्करण के दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच करेंगे। एक अधिकारी ने बताया एचएएल और आईएएफ ने दुर्घटनाग्रस्त विमान से ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया है और वे संयुक्त रूप से इस दुर्घटना की जांच करेंगे। 

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